नागौर न्यूज: राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रामीण इलाकों में खाप पंचायतों के बढ़ते दखल को लेकर 5 सदस्यीय आयोग का गठन किया है।
यह आयोग विभिन्न गांवों में जाकर खाप पंचायतों की भूमिका पर रिपोर्ट तैयार करेगा और 14 मई तक हाईकोर्ट को सौंपेगा।
कमीशन में 4 वकील देवकीनंदन व्यास, रामावतार सिंह चौधरी, शोभा प्रभाकर, भागीरथ राय और 1 सामाजिक कार्यकर्ता महावीर कांकरिया शामिल हैं। जो कोर्ट कमिश्नर के रूप में कार्य करेंगे।
यह आदेश जस्टिस फरजंद अली की कोर्ट ने 7 मार्च को जालोर और नागौर के याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के बाद दिया। याचिकाकर्ता के वकील अर्जुन सिंह ने कोर्ट को अवगत कराया कि पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में खाप पंचायतें मनमाने फैसले सुनाकर सामाजिक बहिष्कार और जुर्माना लगा रही हैं। इस समस्या को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने नागौर, जालोर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में वास्तविक स्थिति जानने के लिए आयोग गठित करने का निर्णय लिया।
आयोग का उद्देश्य खाप पंचायतों के दखल को रोकना, सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना और जमीनी हकीकत को समझकर समाधान प्रस्तुत करना है। कोर्ट ने संबंधित जिलों के एसपी को आयोग के सदस्यों को आवश्यक सहयोग और पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है।
आयोग के सदस्य विभिन्न गांवों में जाकर थानों का निरीक्षण करेंगे और सरपंचों, ग्रामसेवकों, सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर गांवों की परंपराओं और रीति-रिवाजों की जानकारी भी जुटाएंगे।
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