राजस्थान स्पॉटलाइट:
राजस्थान में जनता के प्रतिनिधि बनने वाले अब जनता को सड़कों पर कुचल रहे हैं। दलितों को दबाकर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेक रहे हैं।
आज इन्हीं दो घटनाओं की चर्चा करेंगे जो हाल ही में पूरे राजस्थान की जनता और सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
—— पार्ट-1
इनमें से पहली घटना उस व्यक्ति की है। जिसने जयपुर की सड़कों पर खुलेआम अपनी गाड़ी से निर्दोष लोगों को कुचल दिया। उस्मान खान जो कांग्रेस का जिला उपाध्यक्ष है। उसने नौ लोगों को अपनी कार से रौंद दिया। इनमें से तीन लोगों की मौत हो गई। जिनमें एक महिला और दो पुरुष थे, जो अपने घर से किसी न किसी काम के लिए निकले थे।
रात के समय जब भी परिवार का कोई सदस्य घर से बाहर जाता है तो परिजनों को चिंता लगी रहती है कि उसके साथ कोई दुःखद घटना न हो जाए। वैसा ही समाचार इन मृतकों के घर पहुंचा। जब कांग्रेस के उपाध्यक्ष उस्मान खान ने नशे में धुत होकर इन्हें गाड़ी से बेरहमी से रौंद दिया।
जब घटना का खुलासा हुआ, तो कांग्रेस ने इस नेता से अपना पल्ला झाड़ लिया। सोमवार रात करीब 7:30 बजे यह घटना हुई और जब कांग्रेस के पदाधिकारियों को पता लगा कि उनका ही आदमी लोगों को खुलेआम जान से मार रहा है, तो उन्होंने बचाव का तरीका भी अपना लिया। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आर.आर. तिवाड़ी ने जिला कार्यकारिणी से उस्मान खान को निष्कासित कर दिया।
इस पर पार्टी ने तो अपना बचाव कर लिया लेकिन जिन तीन जिंदगियों को उसने खत्म कर दिया वीरेंद्र सिंह, अवधेश पारीक, ममता कंवर उनके परिवार तो यही सोच रहे थे कि वे घर वापस लौटेंगे, लेकिन उन्हें उनके शव मिले। उस व्यक्ति की वजह से जो अपने आप को होश में भी नहीं रख सकता, उसे जिला उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस ने ही सौंपा।
—— पार्ट-2
वहीं अब आ जाते हैं दूसरी घटना पर जिसने भाजपा की राजस्थान में दलितों के प्रति सोच को उजागर कर दिया- ऐसा कहना था कांग्रेस का। क्योंकि काम ही भाजपा नेता ने ऐसा किया।
जब भाजपा कहती है कि सबका साथ, सबका विकास।
तो क्या अलवर से पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा की सोच का कभी बीजेपी को पता नहीं चला।
ज्ञानदेव आहूजा ने न सिर्फ दलितों का अपमान किया बल्कि नेता प्रतिपक्ष जो अपने आप में एक बड़ा पद है उसका भी अपमान किया। ज्ञानदेव आहूजा ने पद पर बैठे व्यक्ति की जाति को देखकर उसे निशाना बनाया और धर्म की आड़ में भगवान राम का नाम लेकर अपनी राजनीति करने की कोशिश की। और ऐसे व्यक्ति को पार्टी में हिस्सा दिया गया।
उसने खुलेआम नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के मंदिर दर्शन करने के बाद भगवान राम के मंदिर को अपवित्र घोषित कर दिया और गंगाजल लेकर मंदिर को पवित्र करने पहुंच गए। थोड़ा अपनी सोच को भी गंगाजल से साफ कर लेते, तो आज निलंबित नहीं होना पड़ता।
इस घटना के बाद से कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक ने कहा कि भाजपा के दिल में दलितों के प्रति ईर्ष्या और दुर्भावना है।
वहीं भाजपा ने भी अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए ज्ञानदेव आहूजा को कारण बताओ नोटिस दिया और निलंबित कर दिया। लेकिन राजस्थान के दलितों का जो अपमान पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक द्वारा किया गया उसे शायद ही माफ किया जा सकता है- ऐसा जनता का कहना है।
जिस तरह से बयान दिए गए जिनमें कहा गया कि “भगवान राम के मंदिर में इसलिए गंगाजल छिड़का क्योंकि अपवित्र लोग आ गए थे। मंदिरों को अपवित्र मत करो। जहां-जहां पैर पड़ेंगे और मूर्तियों को हाथ लगाओगे, वहां गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र करूंगा।”
जब ऐसे बयान सार्वजनिक रूप से दिए जाते हैं तो ऐसे में भाजपा जैसी बड़ी पार्टी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए- यही कहना है कांग्रेस का।
भाजपा प्रदेश महामंत्री और सांसद दामोदर अग्रवाल की ओर से केवल एक नोटिस देकर मामले को रफा-दफा करना काफी नहीं है।
ये दो घटनाएं पिछले एक-दो दिनों में राजस्थान में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। और इन घटनाओं में जो लोग शामिल थे, वे कोई आम आदमी नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों के नेता और पूर्व विधायक थे। जो जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति हैं। वहीं अगर यही लोग जनता के साथ दुर्व्यवहार करने लगेंगे, तो कानून व्यवस्था कहां से स्थापित होगी?
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