राजस्थान न्यूज: बारां जिले के जलवाड़ा गांव की दोपहर 16 मई को एक भारी त्रासदी लेकर आई। गांव के तालाब में उतरी 68 भैंसों की करंट से मौत हो गई। ये भैंसें उन 40 परिवारों की थीं, जिनकी आजीविका पूरी तरह खेती और पशुपालन पर निर्भर थी।
हादसे के बाद गांव में मातम पसरा है, लेकिन सबसे बड़ी चिंता अब मुआवजे को लेकर है।
सरकारी नियमों के अनुसार – एक भैंस की मौत पर 20 से 30 हजार रुपए तक की सहायता राशि मिलती है। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि उनकी भैंसें मुर्रा नस्ल की थीं, जिनकी कीमत 80 हजार से एक लाख रुपये तक थी। इनमें से अधिकांश गर्भवती थीं, जिनसे भविष्य में दूध की आमदनी बढ़ने की उम्मीद थी।
कमेटी की रिपोर्ट में लापरवाही साबित
प्रशासन की जांच में सामने आया है कि तालाब के किनारे एक बिजली का पोल खड़ा था, जिससे 11 हजार केवी की लाइन गुजर रही थी। पोल में लगी लोहे की प्लेट से करंट पानी में फैल गया और हादसा हो गया। ग्रामीण इस पोल को हटाने की मांग पिछले पांच साल से कर रहे थे, लेकिन बिजली विभाग ने कार्रवाई नहीं की।
क्या मिलेगा न्याय?
प्रशासन ने नुकसान की पुष्टि करते हुए मुआवजे की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है। लेकिन ग्रामीणों को डर है कि तय नियमों की सीमाओं में उन्हें केवल नाममात्र की सहायता मिलेगी, जबकि भैंसों की कुल कीमत करीब 70 लाख रुपए आंकी गई है।
प्रशासन की ओर से बताया गया कि गांववालों की मांग पर बिजली विभाग ने तालाब से पोल हटाने के लिए डिमांड नोट तो जारी किया था, लेकिन उस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
जिला कलक्टर रोहिताश सिंह ने स्पष्ट किया है कि हादसे के लिए बिजली विभाग की तकनीकी खामी जिम्मेदार है और मुआवजे की राशि भी बिजली विभाग (डिस्कॉम) को ही देनी होगी।

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