राजस्थान के अंता (बारां) से भारतीय जनता पार्टी के विधायक कंवरलाल मीणा ने आज ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
बुधवार सुबह मनोहरथाना के एसीजेएम कोर्ट में सरेंडर करने के बाद विधायक को अकलेरा, झालावाड़ जेल भेज दिया गया।
उन्हें दो दशक पुराने एक आपराधिक मामले में दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में उन्हें कोई राहत नहीं दी थी और दो सप्ताह में सरेंडर करने का आदेश दिया था।
दरअसल, यह घटना 3 फरवरी 2005 की है। झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र में दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर कुछ ग्रामीणों ने खाताखेड़ी पंचायत के उपसरपंच चुनाव को लेकर दोबारा मतदान की मांग करते हुए रास्ता जाम कर दिया था। इस सूचना पर प्रशासन की टीम तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास करने लगी।
इसी दौरान विधायक कंवरलाल मीणा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और आरोप है कि उन्होंने एसडीएम मेहता की कनपटी पर पिस्तौल तान दी। उन्होंने धमकी दी कि यदि दो मिनट के भीतर फिर से वोटों की गिनती शुरू नहीं हुई तो वह जान से मार देंगे। जब अधिकारियों ने दबाव में आने से इनकार कर दिया, तो कंवरलाल ने फोटोग्राफर का कैमरा छीनकर उसकी कैसेट निकालकर तोड़ दी और उसे जला डाला। इसके अलावा उन्होंने डॉक्टर प्रीतम का डिजिटल कैमरा भी छीन लिया, जिसे करीब 20 मिनट बाद लौटाया गया।
इस केस में ट्रायल कोर्ट ने – 2018 में कंवरलाल को बरी कर दिया था, लेकिन अपील पर अकलेरा की अपर जिला अदालत (ADJ) ने यह फैसला पलटते हुए 2020 में उन्हें 3 साल की सजा सुनाई।
इसके बाद विधायक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 मई को याचिका खारिज करते हुए सरेंडर का आदेश दे दिया। कोर्ट ने कहा कि विधायक के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और उनके राजनीतिक पद का दुरुपयोग नहीं नज़रअंदाज़ किया जा सकता।
दया याचिका की अटकलें तेज
इस घटनाक्रम के बीच राज्यपाल से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। चर्चा है कि इस मुलाकात का संबंध कंवरलाल मीणा की संभावित दया याचिका से हो सकता है। हालांकि इस पर किसी भी पक्ष की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
विधायक की आपराधिक पृष्ठभूमि
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विधायक की आपराधिक पृष्ठभूमि को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, भले ही कुछ मामलों में उन्हें बरी किया गया हो। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है, उनकी विधायकी और राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।
राजस्थान न्यूज: बुर्का पहनकर गर्लफ्रेंड से मिलने पहुंचा लड़का, गिरफ्तार
राजस्थान न्यूज: सरकारी महिला शिक्षिका को फोटो-वीडियो के जरिए किया जा रहा था बदनाम
राजस्थान न्यूज: SDM का एपीओ, MLA रविंद्र और MP बेनीवाल ने लगाए थे गंभीर आरोप