राजस्थान न्यूज: जयपुर एसीबी की टीम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने ही विभाग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र कुमार शर्मा और उनके दो सहयोगियों को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है।
सुरेंद्र कुमार शर्मा जो एसीबी में एएसपी पद पर जयपुर मुख्यालय में तैनात हैं, के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सवाई माधोपुर में दर्ज एफआईआर नंबर 119/2025 के तहत 7, 7ए, 8, 11, 12 (पीसी एक्ट 1988 संशोधित 2018) की धाराओं के तहत कार्रवाई की है। उनके दो सहयोगी रामराज मीणा और प्रदीप उर्फ बंटी पारीक दोनों निजी व्यक्ति भी इस मामले में गिरफ्तार किए गए हैं।
दरअसल, सुरेंद्र कुमार शर्मा पहले सवाई माधोपुर में एसीबी एएसपी के पद पर थे और हाल ही में जयपुर मुख्यालय में अटैच किए गए थे। जयपुर एसीबी टीम ने तकनीकी निगरानी और पुख्ता सबूतों के आधार पर उन्हें मुख्यालय से हिरासत में लिया।
गिरफ्तार किए गए दलालों में से प्रदीप पारीक को जयपुर के प्रतापनगर स्थित एक होटल से गिरफ्तार किया गया, जहां से एसीबी ने 11 लाख रुपए नकद बरामद किए। वहीं रामराज मीणा को सवाई माधोपुर से पकड़ा गया, जिसके पास से 2 लाख रुपए की नकदी मिली।
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एसीबी महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा के अनुसार – रामराज मीणा अवैध बजरी खनन में सक्रिय था और अधिकारियों को मैनेज करने के लिए दलाली करता था। मोबाइल सर्विलांस के दौरान यह सामने आया कि रामराज और एएसपी सुरेंद्र मिलकर सरकारी कर्मचारियों को डराकर अवैध वसूली करते थे। यहां तक कि सुरेंद्र ने शराब ठेकेदारों से भी अवैध शराब की बोतलें मंगवाई थीं।
जांच में यह भी उजागर हुआ कि रामराज मीणा ने सुरेंद्र कुमार शर्मा के माध्यम से अवैध बजरी से भरे ट्रकों को संबंधित थाना क्षेत्रों से बाहर निकलवाने के लिए पुलिसकर्मियों पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दबाव बनाया। साथ ही, सुरेंद्र द्वारा रामराज के माध्यम से वन विभाग के अधिकारियों को भी रिकॉर्डिंग का भय दिखाकर अवैध लाभ लेने की साजिश के प्रमाण सामने आए हैं।
‘मंथली बंधी’ का पूरा नेटवर्क
दलाल बंटी और रामराज ट्रांसपोर्ट विभाग सहित विभिन्न सरकारी अधिकारियों से ‘मंथली’ के नाम पर पैसे इकट्ठा करते थे, जो अंततः सुरेंद्र तक पहुंचते थे। सुरेंद्र कई बार अधिकारियों को यह कहकर धमकाते थे कि उनके खिलाफ रिकॉर्डिंग मौजूद है, जिससे वे रिश्वत देने को मजबूर हो जाते थे। पुलिस विभाग के अफसरों से भी वसूली के प्रमाण एसीबी के हाथ लगे हैं।
इस मामले की जांच राजेश सिंह, उप महानिरीक्षक पुलिस एसीबी जयपुर, और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विशनाराम के सुपरविजन में चल रही है। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस स्मिता श्रीवास्तव के नेतृत्व में पूछताछ और सर्च ऑपरेशन जारी हैं।
यह घटना स्पष्ट करती है कि एसीबी को अपने ही सिस्टम की सख्त सफाई करनी होगी, क्योंकि भ्रष्टाचार निगरानी एजेंसी के भीतर पनपने से पूरे तंत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठते हैं।
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