राजस्थान विधानसभा ने भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त करने का फैसला किया है। यह निर्णय एसडीएम पर पिस्टल तानने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में मिली सजा के बाद लिया गया है।
विधानसभा सचिवालय ने इसकी आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी है, जिसके मुताबिक कंवरलाल की सदस्यता 1 मई 2025 से प्रभावी रूप से रद्द मानी जाएगी।
इस निर्णय से पहले विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राज्य के महाधिवक्ता (एजी) और वरिष्ठ विधि विशेषज्ञों से इस पर कानूनी परामर्श मांगा था। सूत्रों के अनुसार, आज ही महाधिवक्ता की ओर से भेजी गई राय में यह स्पष्ट किया गया कि सुप्रीम कोर्ट से कोई अंतरिम राहत नहीं मिलने की स्थिति में विधायक पद समाप्त करना ही एकमात्र विकल्प है।
गौरतलब है कि विधानसभा सचिवालय ने कंवरलाल मीणा को नोटिस जारी कर 7 मई तक जवाब देने का अवसर दिया था। उन्हें यह स्पष्ट करना था कि क्या सुप्रीम कोर्ट से उनकी सजा पर कोई रोक लगी है। लेकिन उच्चतम न्यायालय से उन्हें राहत नहीं मिलने के चलते स्पीकर के पास सदस्यता रद्द करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
बुधवार सुबह मनोहरथाना के एसीजेएम कोर्ट में सरेंडर करने के बाद विधायक को अकलेरा, झालावाड़ जेल भेज दिया गया था।
कंवरलाल मीणा केस की पूरी कहानी…
दरअसल, यह घटना 3 फरवरी 2005 की है। झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र में दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर कुछ ग्रामीणों ने खाताखेड़ी पंचायत के उपसरपंच चुनाव को लेकर दोबारा मतदान की मांग करते हुए रास्ता जाम कर दिया था। इस सूचना पर प्रशासन की टीम तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास करने लगी।
इसी दौरान विधायक कंवरलाल मीणा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे….राजस्थान न्यूज: SDM पर पिस्टल तानने वाले BJP विधायक ने किया सरेंडर
उपचुनाव पर फैसला चुनाव आयोग लेगा, कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा निर्णय
कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता खत्म होने की जानकारी चुनाव आयोग को भेजी जाएगी। इसके बाद आयोग सीट को रिक्त घोषित कर उपचुनाव पर निर्णय लेगा। नियम अनुसार, किसी भी विधानसभा सीट पर छह माह के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य होता है, इसलिए अंता सीट पर अक्टूबर से पहले उपचुनाव संभावित हैं।
दूसरी ओर, कंवरलाल ने सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई है, जिसकी सुनवाई अब 15 जुलाई के बाद समर वेकेशन खत्म होने पर होगी। अगर कोर्ट उनकी सजा को कम करता है या रोक लगाता है, तो उपचुनाव टल सकते हैं।
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