नागौर जिले में सरकारी सेवा में कार्यरत डॉक्टरों पर नियमों की अनदेखी करते हुए निजी अस्पताल संचालित करने का गंभीर मामला उजागर हुआ है।
यह प्रकरण राज्य के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के गृह जिले से जुड़ा हुआ है, जिससे शासन और विभाग में खलबली मच गई है।

हाल ही में चिकित्सा विभाग को एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि नागौर के पं. जवाहरलाल नेहरू राजकीय जिला अस्पताल में नियुक्त कुल 11 डॉक्टर समानांतर रूप से निजी स्तर पर अस्पताल और क्लिनिक चला रहे हैं। इस शिकायत में प्रत्येक डॉक्टर के निजी संस्थान का स्पष्ट उल्लेख किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे सेवा शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं।
शिकायत में जिन डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं, वे हैं:
- डॉ. जे.पी. टॉक (जेपी ईएनटी हॉस्पिटल)
- डॉ. महेन्द्र भाम्भू (एसएन किड्स हॉस्पिटल)
- डॉ. शैलेन्द्र लामरोर (मदर केयर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल)
- डॉ. सुरेश जाखड़ (जाखड़ ईएनटी हॉस्पिटल)
- डॉ. आर.एस. सांखला (यश मैटरनिटी हॉस्पिटल)
- डॉ. अशोक झाडवाल (झाडवाल क्लिनिक)
- डॉ. विकास चौधरी, डॉ. विजय चौधरी, डॉ. राशी चौधरी, डॉ. सरिता चौधरी (संजीवनी हॉस्पिटल से जुड़े)
- डॉ. महिपाल सिंह (महिपाल सर्जिकल सेंटर)
इन सभी पर सरकारी सेवा में रहते हुए निजी प्रैक्टिस और अस्पताल संचालन का आरोप है।
शिकायत के आधार पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने प्राथमिक स्तर पर जांच के निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत एक चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता अजमेर के संयुक्त निदेशक करेंगे। समिति में नागौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), जिला अस्पताल नागौर के पीएमओ और संयुक्त निदेशक कार्यालय के लेखाधिकारी को सदस्य नामित किया गया है।
कमेटी को निर्देश दिए गए हैं कि वह संपूर्ण प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे। रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए गए डॉक्टरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
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