राजस्थान न्यूज: कृषि विभाग में कार्यरत महिला कर्मचारियों ने विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। मामला तब सामने आया जब एक गुमनाम पत्र के माध्यम से शिकायत की गई, जिसे जांच के बाद सही पाया गया। इस प्रकरण ने विभागीय कार्यशैली और लापरवाही को उजागर कर दिया है, जिस पर अब मुख्य सचिव ने सख्ती दिखाई है।
दरअसल, 8 नवंबर 2024 को कृषि आयुक्तालय को एक गुमनाम शिकायत पत्र प्राप्त हुआ। इसमें विभिन्न जिलों की महिला सुपरवाइजरों की ओर से दो वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्य के दौरान यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए। शिकायतकर्ता की पहचान उजागर नहीं की गई थी, लेकिन आरोप गंभीर थे। जांच के दौरान पता चला कि पूर्व में भी इस तरह की शिकायतें अलग-अलग माध्यमों से की जा चुकी थीं, लेकिन विभाग द्वारा उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।
शिकायत की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने 29 नवंबर को आंतरिक जांच समिति का गठन किया। महिला सुपरवाइजरों को जयपुर बुलाकर उनके बयान दर्ज किए गए। जांच के लिए संबंधित जिलों से महिला कर्मचारियों की जानकारी भी मांगी गई, लेकिन इसमें चार महीने से अधिक की देरी हुई।
मुख्य सचिव सुधांश पंत ने इस पूरे मामले में विभाग द्वारा की गई देरी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में शिकायत मिलने के बावजूद जून 2025 तक कोई ठोस कार्रवाई न होना गंभीर लापरवाही है। उन्होंने विभाग से फैक्टुअल रिपोर्ट तलब की और जवाब मांगा कि कार्रवाई में इतना विलंब क्यों हुआ।
जांच समिति ने दोनों अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है। अब उनके खिलाफ लैंगिक उत्पीड़न निवारण अधिनियम 2013 की धारा 11(1) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
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