सीकर में इस्कॉन द्वारा आयोजित सातवीं जगन्नाथ रथ यात्रा इस वर्ष भव्यता और भक्तिमय माहौल के साथ संपन्न हुई। यह यात्रा रामलीला मैदान से आरंभ होकर कल्याणजी का मंदिर, शीतला चौक, जाट बाजार, तापड़िया बगीची होते हुए जैन भवन व बजाज रोड तक निकाली गई। पूरे मार्ग में हरिनाम संकीर्तन और युगधर्म का संदेश गूंजता रहा।
इस वर्ष यात्रा की थीम विशेष रही-
‘नीली भक्ति छाया’। भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा महारानी ने नीले वस्त्रों में भक्तों को दर्शन दिए। रथ की सजावट, फूलों की सज्जा, भक्तों की वेशभूषा, माताओं की साड़ियाँ और बच्चों की टी-शर्ट तक नीले रंग में रंगी नजर आईं, जिसने पूरे शहर को आध्यात्मिक आभा से भर दिया।


विशेष आकर्षण:
रथ को विदेशी फूलों से सजाया गया, जो जयपुर इस्कॉन मंदिर से लाए गए भगवान की मूर्तियों के साथ सीकर पहुंचे। राधे श्यामानंद महाराज ने कथा वाचन और हरिनाम संकीर्तन किया।
इस बार की यात्रा में 56 भोग की भव्य झांकी सजाई गई और विशेष रूप से तैयार किया गया प्रसाद ‘खाजा‘ भगवान को अर्पित किया गया। इसे फतेहपुर के पारंपरिक कारीगरों ने बनाया था, जिसे बाद में भक्तों में वितरित किया गया।
वातावरण में भक्ति की वर्षा:
रथ यात्रा के दौरान हुई हल्की बारिश ने मानो भगवान की कृपा का संदेश दिया। सीकर में यह परंपरा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन शुरू हुई थी, जो पुरी, ओडिशा की रथ यात्रा से मेल खाती है।
संकीर्तन में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सहभागिता:
श्रीधाम वृंदावन और इस्कॉन जयपुर की गोपीनाथ मंडल टीम ने संकीर्तन में भाग लिया। स्थानीय भक्तों ने भी पूरे मार्ग में उत्साह से भाग लेकर आयोजन को सफल बनाया।
शहरवासियों का भरपूर सहयोग:
रथ यात्रा मार्ग पर हर मोड़, हर चौक पर स्वागत द्वार लगाए गए थे। श्रद्धालु भक्तों ने जल, फल और प्रसाद वितरण के माध्यम से सेवा की। रथ के दर्शन हेतु बच्चे, युवा, महिलाएं व बुजुर्ग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस्कॉन प्रवक्ता ललित गोविंद दास ने बताया कि यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समर्पण, सेवा और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत प्रतीक बन चुकी है।
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