उदयपुर के कोटड़ा ब्लॉक स्थित पीपला ग्राम पंचायत के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में मंगलवार देर रात एक बड़ी घटना घट गई। स्कूल भवन के दो जर्जर कमरे अचानक भरभराकर ढह गए। गनीमत रही कि यह हादसा रात के समय हुआ, वरना स्कूल संचालन के दौरान यह गिरावट बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती थी। हादसे के बाद इलाके में दहशत और आक्रोश का माहौल है।
रोज इन्हीं कमरों में चलती थी क्लास-
हादसे में ढहे दोनों कमरे वे थे जिनमें रोजाना छात्रों की पढ़ाई होती थी। स्कूल में कक्षा 1 से 12वीं तक पढ़ने वाले कुल 250 विद्यार्थी हैं और अब स्कूल में महज़ दो ही कमरे शेष बचे हैं। इन दो कमरों में सभी कक्षाओं का संचालन करना बेहद कठिन हो गया है। शिक्षकों और छात्रों दोनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कई बार चेताया गया, लेकिन विभाग ने नहीं ली सुध-
ग्रामीणों और पीपला ग्राम पंचायत के सरपंच मन्नालाल ने शिक्षा विभाग को स्कूल की खस्ताहाल हालत को लेकर कई बार अवगत कराया था। लेकिन बार-बार की शिकायतों के बावजूद विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि घटना के बाद भी, जब सरपंच ने सुबह जिला सीबीईओ को इसकी जानकारी दी, तो कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
गंभीर लापरवाही पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा-
गांववासियों में विभाग की इस लापरवाही को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि समय रहते भवन की मरम्मत या पुनर्निर्माण कराया गया होता तो आज यह स्थिति नहीं आती। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि वे अपने बच्चों को जान जोखिम में डालकर नहीं पढ़ाना चाहते।
ग्रामीणों की मांग है कि—
- स्कूल भवन का तुरंत निर्माण कार्य शुरू किया जाए।
- बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
- जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
भविष्य की पीढ़ी को नजरअंदाज कर रहा विभाग?
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को उजागर कर दिया है। यह केवल एक गांव की समस्या नहीं, बल्कि प्रदेशभर के कई सरकारी विद्यालयों में इसी तरह की खस्ताहाल स्थिति बनी हुई है। शिक्षा के अधिकार की बात करने वाले तंत्र की असलियत ऐसे हादसों में साफ नजर आती है।