कोटा में करीब दो साल पुराने नाबालिग के अपहरण के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपी युवक को 7 साल के सश्रम कारावास और ₹3,000 के अर्थदंड से दंडित किया है। यह मामला अगस्त 2023 में दर्ज हुआ था, जब एक व्यक्ति ने थाने में अपनी 16 वर्षीय बेटी के अपहरण की शिकायत दी थी।
शिकायत में बताया गया कि वे अस्थायी टापरी में रहते हैं और उनकी नाबालिग बेटी को मोहल्ले का ही एक युवक बहला-फुसलाकर अपने साथ भगा ले गया। आरोपी युवक ने नाबालिग को 4 दिनों तक अपने साथ रखा। साथ ही, उसने पीड़िता को अपने नाम पर लिया गया मोबाइल फोन भी दे रखा था, जबकि खुद वह अपनी मां के नाम पर लिया गया फोन इस्तेमाल करता था। दोनों फोन के जरिए लगातार संपर्क में रहते थे।
शिकायत मिलते ही पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। कुछ ही समय में पीड़िता को दस्तयाब कर लिया गया और आरोपी को गिरफ्तार किया गया। मामले में पुलिस ने आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण), 366 (नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगाना), पॉक्सो एक्ट की धारा 11/12 और जेजे एक्ट की धारा 84 के तहत मामला दर्ज किया।
प्रकरण की सुनवाई पहले पॉक्सो कोर्ट में हुई, बाद में यह मामला जिला एवं सत्र न्यायालय में स्थानांतरित किया गया। अदालत में लोक अभियोजक मनोज पुरी ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान कोर्ट में कुल 12 गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिनके आधार पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराया और 7 वर्ष की सजा सुनाई।