जयपुर के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में संचालित राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी (RMRS) में वित्तीय गड़बड़ियों का मामला सामने आया है। विभागीय इंटरनल ऑडिट में यह खुलासा हुआ है कि कई अस्पतालों में आरएमआरएस में आने वाली राशि को समय पर बैंक में जमा नहीं करवाया जा रहा है, बल्कि उसका इस्तेमाल निजी कार्यों या अन्य गतिविधियों में किया जा रहा है।
इन अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पताल प्रमुखों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। हाल ही में जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि आरएमआरएस में नकद या चेक के जरिए आने वाली राशि को निर्धारित समय पर संबंधित बैंक खाते में जमा कराना अनिवार्य होगा।
सर्कुलर के अनुसार, अगर कोई अस्पताल इस आदेश की पालना नहीं करता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ब्याज सहित राशि की वसूली और विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक द्वारा जारी आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिला अस्पतालों, सैटेलाइट अस्पतालों व शहरों के अन्य बड़े अस्पतालों को आरएमआरएस में आने वाली राशि को उसी दिन या अगले कार्यदिवस में रोकड़बही में एंट्री कर बैंक में जमा करवाना होगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) को 5 दिन और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) को 3 दिन के भीतर राशि जमा करवाने की समयसीमा दी गई है।
कैसे आता है पैसा आरएमआरएस में?
अन्य राज्यों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों से सरकार द्वारा तय शुल्क लिया जाता है, जिसे आरएमआरएस में जमा किया जाता है। अस्पताल परिसरों में संचालित पार्किंग, दुकानों, कैंटीन इत्यादि से होने वाली आय भी इसी खाते में जाती है।
यह फंड अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं विकसित करने, दवाइयां व उपकरण खरीदने जैसे आवश्यक कार्यों के लिए प्रयोग होता है। हाल ही में कुछ संस्थानों से फंड के गबन की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिसके चलते विभाग ने अब इस पूरे सिस्टम को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
जयपुर न्यूज: बारिश के बीच घर लौटते वक्त ट्रक ने मारी टक्कर, एक की मौत
जयपुर न्यूज: छात्रा से कैफे में रेप, आरोपी ने दी वीडियो वायरल की धमकी