Friday, July 25, 2025
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जोधपुर में आसाराम को मिली हाईकोर्ट से 9 जुलाई तक जमानत

जोधपुर में दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम को मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट से आंशिक राहत मिली है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच— जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ ने आसाराम की ओर से दायर अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए 9 जुलाई तक की राहत दी है।

इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने भी उन्हें 7 जुलाई तक अंतरिम जमानत दी थी। अब यह देखना अहम होगा कि आगे की सुनवाई में कोर्ट क्या फैसला करता है— क्या जमानत अवधि और बढ़ेगी या नहीं।

वकीलों ने दी मेडिकल आधार की दलील-

आसाराम की ओर से एडवोकेट निशांत बोड़ा और उनकी टीम ने कोर्ट को बताया कि उन्हें NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) से प्रमाण पत्र मिलना अभी बाकी है, जिसमें उनकी उम्र 70 साल से अधिक होने और टर्मिनल बीमारी की पुष्टि का उल्लेख है। वकीलों ने यह भी तर्क दिया कि पिछली बार कोर्ट से मिली जमानत अवधि का अधिकांश समय जमानती प्रक्रिया में ही चला गया, जिससे उन्हें इलाज के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल सका।

विरोधी पक्ष की आपत्ति-

सरकारी वकील ने कोर्ट के सामने सवाल उठाया कि आसाराम इलाज के नाम पर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जा रहे हैं, जिससे संदेह होता है कि वह केवल जेल से बाहर रहने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जोधपुर में भी एम्स और बेहतरीन आयुर्वेदिक केंद्र मौजूद हैं, जहां उनका इलाज संभव है।

गुजरात हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी-

गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया है कि अंतरिम जमानत को बार-बार बढ़ाना एक “अंतहीन प्रक्रिया” बन सकती है, जिसे रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि अगली सुनवाई में अंतिम निर्णय हो सकता है।

फिलहाल मेडिकल ग्राउंड पर जेल से बाहर-

गौरतलब है कि 2013 में दर्ज रेप केस में दोषी पाए गए 86 वर्षीय आसाराम उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। फिलहाल वे मेडिकल आधार पर जेल से बाहर हैं। उनकी जमानत 30 जून को समाप्त होनी थी, लेकिन दस्तावेजी प्रक्रिया और कानूनी दलीलों के चलते कोर्ट ने कुछ दिन की और राहत दी है।

सुप्रीम कोर्ट की पूर्व शर्तें

सुप्रीम कोर्ट ने भी जनवरी 2025 में उन्हें मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन यह शर्त रखी थी कि वे न तो सार्वजनिक रूप से अनुयायियों से मिलेंगे और न ही पुलिस की निगरानी से बाहर जाएंगे।अब 9 जुलाई को राजस्थान हाईकोर्ट में अगली सुनवाई के दौरान यह तय होगा कि आसाराम को आगे और राहत मिलती है या उन्हें वापस जेल जाना होगा।

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