राजस्थान में स्कूली शिक्षा व्यवस्था बुनियादी ढांचे की बदहाली से जूझ रही है। राज्यभर में हजारों स्कूल ऐसे हैं जो जर्जर हालात में पहुंच चुके हैं जिससे छात्रों की जान जोखिम में है। सरकार ने अब इन स्कूलों की मरम्मत के लिए प्रक्रिया शुरू की है लेकिन वर्षों की अनदेखी के कारण स्थिति बेहद गंभीर बन गई है।
मरम्मत के लिए 169 करोड़ का बजट मंजूर
प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों बांसवाड़ा और डूंगरपुर में प्रशासन की जांच में सामने आया कि करीब आधे स्कूल बेहद खस्ता हालत में हैं। बरसात के मौसम को देखते हुए इन दोनों जिलों के स्कूल अस्थाई रूप से बंद कर दिए गए हैं। इसी तरह झालावाड़ की एक घटना के बाद कोटा संभाग (कोटा, बारां, झालावाड़) में भी स्कूलों को आगामी आदेश तक बंद कर दिया गया है।
सरकार ने फिलहाल 1,936 स्कूलों की मरम्मत के लिए 169 करोड़ से अधिक का बजट मंजूर किया है
कंटेनर में चलेंगी अस्थाई कक्षाएं
जिसमें से 194 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के 19,706 स्कूलों के 47,933 कक्षों को मरम्मत की आवश्यकता है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि मरम्मत से पहले सभी स्कूलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाएगा और उस पर बिल्डिंग की वैधता अवधि लिखी जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार ने भी झालावाड़ की घटना के बाद मदद का भरोसा दिलाया है। जब तक मरम्मत नहीं होती, तब तक कंटेनर में कक्षाएं चलाने की व्यवस्था की जाएगी।
शिक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया है और भ्रष्टाचार से बचने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
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