सीकर में बाबा श्याम के प्रति भक्तों की आस्था के कई उदाहरण आपने देखे होंगे, लेकिन उत्तराखंड के रामपुर निवासी 21 वर्षीय केशव सक्सेना की भक्ति मिसाल बन गई है। केशव ने खुद को 12 लोहे की जंजीरों से जकड़कर खाटूश्यामजी तक 18 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की। इस यात्रा में उसे 27 घंटे लगे।
केशव मंगलवार दोपहर ट्रेन से रींगस पहुंचा और प्राचीन श्याम मंदिर में पूजा-अर्चना कर खुद को करीब 10 किलो वजनी 12 जंजीरों से बांधा। इसके बाद उसने रींगस से खाटू तक बिना कुछ खाए-पिए पैदल यात्रा शुरू की और बुधवार सुबह करीब 4 बजे बाबा के दरबार पहुंचा।
बचपन में माता-पिता ने छोड़ा, बाबा श्याम बने सहारा-
केशव ने बताया कि जब वह 9 साल का था, तब उसके माता-पिता ने अलग-अलग शादी कर उसे बेसहारा छोड़ दिया। उसी समय वह पहली बार खाटूश्यामजी के दर्शन करने आया और तब से हर साल आता है। पहले साइकिल से आता था, अब पैदल आता है।
अब नैनीताल में करता है काम, बाबा को मानता है जिंदगी का आधार-
वर्तमान में केशव नैनीताल के पास पानी की बोतल बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता है। वह मानता है कि यह सब बाबा श्याम की कृपा से संभव हुआ।
जंजीरों के पीछे की कहानी: मांसाहार और हिंसा के खिलाफ संदेश-
केशव ने बताया कि हाल ही में हल्द्वानी में कन्हैया मित्तल का भजन कार्यक्रम सुनने गया था। वहां रास्ते में मांसाहार और जानवरों की कटाई देखकर उसे पीड़ा हुई। तभी उसने संकल्प लिया कि वह लोहे की जंजीरों में बंधकर बाबा श्याम के दरबार पहुंचेगा और प्रार्थना करेगा कि भारत में मांसाहार और हिंसा बंद हो।
भक्ति और संदेश का संगम-
केशव की यह पदयात्रा सिर्फ आस्था की अभिव्यक्ति नहीं बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है — अहिंसा, त्याग और श्रद्धा का प्रतीक। बाबा श्याम के दरबार में उसकी इस अनोखी अर्जी ने सभी का ध्यान खींचा।
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