सीकर में कर्मचारी संयुक्त महासंघ के बैनर तले सैकड़ों कर्मचारियों ने सीकर कलक्ट्रेट का घेराव किया। केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के विरोध में कर्मचारियों ने जोरदार नारेबाजी की और अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
बजरंग कांटा से कलेक्ट्रेट तक निकाली गई रैली
कर्मचारियों ने बजरंग कांटा से कलेक्ट्रेट तक एक रैली निकाली। जिसमें उन्होंने पुरानी पेंशन योजना की बहाली, समान काम-समान वेतन, संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर आक्रोश जताया। रैली के अंत में जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया।
प्रदेश महामंत्री उपेंद्र शर्मा का बयान
संघ के प्रदेश महामंत्री उपेंद्र शर्मा ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं करती है।तो कर्मचारी उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार की उपेक्षा से प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
प्रमुख मांगें
1. पीएफआरडीए अधिनियम रद्द कर ₹53 हजार करोड़ जीपीएफ खाते में जमा करें।
2.समान वेतन नीति लागू हो और 2017 की मूल वेतन कटौती रद्द हो।
3.जनवरी 2020 से जून 2021 तक का एरियर नकद भुगतान किया जाए।
4.सेवाकाल में पांच पदोन्नति या निर्धारित वर्षों (7, 14, 21, 28, 32) पर वेतनमान स्वीकृत हो।
5.संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
6.रिक्त पदों पर स्थायी भर्ती शीघ्र हो।
7.न्यूनतम वेतन ₹26 हजार हो, 50% पदोन्नति कोटा मिले।
8.‘नो वर्क, नो पे’ नीति रद्द की जाए।
9.आरजीएचएस में सुधार और कटौतियां बंद हों।
10.निजीकरण बंद किया जाए, पीपीपी मॉडल और एनईपी-2020 रद्द हों।
11.पुलिस कर्मचारियों को साप्ताहिक छुट्टी, कार्य समय निर्धारण और लंबित पदोन्नतियां दी जाएं।
12.मंत्रालयिक कर्मचारियों को समान वेतन, भत्ते और निदेशालय का गठन किया जाए।
आंदोलन की चेतावनी
संघ ने स्पष्ट किया कि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो कर्मचारी व्यापक और उग्र आंदोलन पर उतरेंगे। यह आंदोलन सरकारी कार्यों और सेवाओं पर भी असर डाल सकता है।
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