भरतपुर के रूपबास में भगवान जगन्नाथ और माता जानकी की भव्य शोभायात्रा भक्तिभाव और परंपरा के साथ निकाली गई। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ के विवाह उत्सव के बाद उनके लौटने की परंपरा के तहत निकाली गई। जिसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़े।
माता जानकी की विदाई और पूजा-अर्चना –
कार्यक्रम की शुरुआत रूपहरि मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ हुई। यहां पुजारियों द्वारा विधिवत रूप से माता जानकी और भगवान जगन्नाथ की पूजा की गई। पूजा के बाद माता जानकी की भावभीनी विदाई की गई। मंदिर प्रांगण जयकारों और शंखनाद से गूंज उठा।जब माता जानकी और भगवान जगन्नाथ को विशेष रूप से सजे इंद्र विमान में विराजित किया गया।

पुलिस सलामी और भक्तों की आस्था-
जैसे ही देव युगल इंद्र विमान में विराजमान हुए, पुलिसकर्मियों ने उन्हें श्रद्धा से सलामी दी। इस दौरान भक्तों का उत्साह देखने लायक था। कई श्रद्धालु तो रथ के नीचे से निकलते हुए दर्शन कर रहे थे। जिसे शुभ माना जाता है।
6 किमी लंबी भव्य शोभायात्रा-
पूरे नगर में निकली यह शोभायात्रा करीब 6 किलोमीटर लंबे मार्ग से होकर गुज़री। शोभायात्रा में ऊंट, घोड़े और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक झांकियां शामिल थीं। रास्ते भर भगवान के दर्शन को आतुर श्रद्धालु कतारों में खड़े नजर आए। मार्ग में आने वाले सभी प्रमुख मंदिरों में भगवान की आरती की गई। कई जगहों पर भक्तों के लिए भंडारे भी लगाए गए थे। जहां प्रसाद वितरण हुआ।
रात 3 बजे तक मंदिर पहुंचेगा रथ-
यह शोभायात्रा रात करीब 3 बजे कटला स्थित सुभाष चौक में स्थित मंदिर में पहुंचेगी। जहां भगवान जगन्नाथजी का विशेष स्वागत और पूजा की जाएगी।
परंपरा और आस्था का अनूठा संगम-
यह आयोजन न केवल धार्मिक परंपरा का प्रतीक था, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था और सामाजिक समरसता का भी परिचायक रहा। पूरे कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालु ‘जय जगन्नाथ’ और ‘जय सिया राम’ के जयकारे लगाते रहे। जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।
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