राजस्थान की अदालतों में आज से न्यायिक प्रक्रिया पूरी तरह से रुक गई है। राज्यभर की 1638 अधीनस्थ अदालतों में कार्य प्रभावित हुआ है क्योंकि लगभग 20 हजार न्यायिक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं।
धरने से हड़ताल तक पहुँचा आंदोलन
लंबे समय से लंबित पड़े कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर कर्मचारी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के नेतृत्व में कर्मचारी पिछले पांच दिनों से जयपुर सेशन कोर्ट परिसर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
लेकिन सरकार द्वारा कोई सकारात्मक पहल नहीं किए जाने से नाराज कर्मचारियों ने आज से राज्यव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। संघ का कहना है कि मंत्रालयिक व स्टेनोग्राफर कैडर के पुनर्गठन का प्रस्ताव हाईकोर्ट की फुल बेंच ने 6 मई 2023 को पारित कर राज्य सरकार को भेजा था।
लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने इस पर अमल नहीं किया। इससे न केवल प्रमोशन के अवसर घटे हैं बल्कि कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
सरकार पर भेदभाव के आरोप
प्रदेशाध्यक्ष जोशी का आरोप है कि राज्य सरकार अन्य विभागों में त्वरित रूप से कैडर पुनर्गठन कर रही है लेकिन न्यायिक कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। मई में भी कर्मचारियों ने भूख हड़ताल की थी जिसे भारत-पाक तनाव के चलते स्थगित कर दिया गया था। अब आंदोलन को फिर से शुरू कर दिया गया है।
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