Friday, October 10, 2025
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जयपुर के दंपति ने बनाया स्मार्ट डिवाइस, भारत सरकार से पेटेंट हासिल

जयपुर के मृदुल भटनागर और वर्णाली शर्मा ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए एक अनोखा क्लाउड-बेस्ड डिवाइस तैयार किया है। खास बात यह है कि इस तकनीक को भारत सरकार से पेटेंट भी मिल चुका है। जिससे जयपुर का नाम एक बार फिर तकनीकी नवाचार के मानचित्र पर दर्ज हो गया है।

ध्वनि प्रदूषण की सटीक पहचान-

यह डिवाइस कहीं भी मौजूद शोर के स्रोत और उसकी तीव्रता (डेसीबल लेवल) को तुरंत पकड़ लेता है। इसे वाहनों, पीसीयू वैन और ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम में लगाया जा सकता है। डिवाइस से मिलने वाला डेटा सीधे क्लाउड पर पहुंचता है और कंट्रोल रूम तक रियल-टाइम में मॉनिटर किया जा सकता है। इससे राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी अपने ऑफिस में बैठे-बैठे ही शोर की लोकेशन और स्तर पर नजर रख सकते हैं।

बीटेक के दिनों से शुरू हुई थी यात्रा-

मृदुल ने 2015 में बीटेक की पढ़ाई के दौरान अपना स्टार्टअप शुरू किया था। साल 2017 में रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने अपनी साथी वर्णाली शर्मा के साथ इस डिवाइस पर काम शुरू किया। पढ़ाई पूरी होने के बाद भी दोनों ने लगातार रिसर्च जारी रखी और आखिरकार इसे पेटेंट कराने में सफल रहे।

      मृदुल भटनागर और वर्णाली शर्मा

वियरेबल फॉर्म में भी उपलब्ध-

इस डिवाइस को वियरेबल फॉर्म जैसे रिस्टबैंड या बैज के रूप में भी विकसित किया गया है। यह आसपास की तय सीमा में मौजूद शोर को मापता है और डेटा सीधे क्लाउड पर भेज देता है। इसके जरिए विशेषज्ञ टीम तुरंत नॉइज लेवल की निगरानी कर सकती है। साथ ही डिवाइस रियल-टाइम नॉइज लेवल डिस्प्ले भी करता है।

CPCB से मिली हरी झंडी-

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इस आइडिया को मंजूरी दी है। इसके इस्तेमाल को लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों, ट्रैफिक विभाग और साउंड प्रूफिंग कंपनियों के लिए नए रास्ते खुल गए हैं। जल्द ही जयपुर में इसका डेमो सेटअप लगाया जाएगा, ताकि शोर प्रदूषण के सामाजिक प्रभाव और स्वास्थ्य पर इसके असर का अध्ययन किया जा सके।

लक्ष्य – स्वास्थ्य मानकों में सुधार-

मृदुल और वर्णाली का उद्देश्य इस तकनीक को सार्वजनिक स्थानों और औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित कर शोर प्रदूषण को नियंत्रित करना है। इससे न सिर्फ पर्यावरण में संतुलन आएगा, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य मानकों में भी सुधार होगा।

दोस्ती से जिंदगी तक का सफर-

दिलचस्प बात यह है कि जब इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था, तब मृदुल और वर्णाली अच्छे दोस्त थे। आज दोनों शादीशुदा हैं और इस वजह से यह प्रोजेक्ट उनके लिए और भी खास बन गया है।

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