जयपुर: राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव न होने के मुद्दे पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने संकेतों में सरकार को नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि कई बार पहले की गई गलतियां हम भी दोहरा देते हैं जबकि गलती दोहराना नहीं चाहिए। उनका कहना था कि यह फैसला उच्च स्तर का होता है इसलिए इस पर टिप्पणी करना उनका अधिकार नहीं है।
किरोड़ी ने खुद को रखा छात्र राजनीति से अलग
मीडिया से बातचीत में किरोड़ी मीणा ने कहा कि वे खुद छह बार विधायक और तीन बार सांसद रह चुके हैं लेकिन कभी छात्र राजनीति से जुड़े नहीं। उन्होंने माना कि छात्र राजनीति से कई नेता उभरे हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इसके बिना राजनीति में पहचान बनाई है।
पिछली कांग्रेस सरकार पर भी साधा निशाना
किरोड़ी ने इशारों में पिछली कांग्रेस सरकार पर भी हमला बोला और कहा — “जो लोग पहले छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, आज वे ही इस मुद्दे पर बोल रहे हैं। उन्होंने चुनाव क्यों रोके थे?” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस शासन में उन पर कई बार लाठीचार्ज हुआ था जिसमें उदयपुर और सीकर की घटनाएं शामिल हैं।
पिछले चुनाव के अनुभव बने बाधा
राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर स्पष्ट किया था कि फिलहाल छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। कारण के तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन और लिंगदोह समिति की सिफारिशों का हवाला दिया गया।
सरकार के जवाब में 9 विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं की राय भी शामिल थी जिनमें अधिकांश ने शैक्षणिक गतिविधियों और समय-सारिणी में बाधा का हवाला देकर चुनाव न कराने की सलाह दी।
- जयपुर विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. अल्पना कटेजा ने कहा कि 2023-24 में भी NEP लागू होने के कारण चुनाव नहीं हुए और वोटिंग प्रतिशत बहुत कम रहा।
- उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा ने बताया कि 2022-23 के चुनावों के बाद गंदगी, पोस्टरबाजी और तोड़फोड़ से निपटने में डेढ़ साल लग गया।
- कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा कि चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है और महाविद्यालय पक्ष में नहीं हैं।
- जोधपुर के एमबीएम विश्वविद्यालय के प्रो. अजय शर्मा के अनुसार, चुनाव होने पर 2 महीने का टाइम-टेबल बिगड़ जाएगा।
- सीकर, अजमेर और बीकानेर के कुलगुरुओं ने भी NEP और परीक्षा परिणाम में देरी के चलते चुनाव स्थगित रखने की वकालत की।
कुल मिलाकर, सरकार का रुख है कि मौजूदा शैक्षणिक परिस्थितियों और NEP लागू करने के कारण फिलहाल छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना ही उपयुक्त है जबकि मंत्री किरोड़ी मीणा ने इसे पिछली सरकार की गलती को दोहराने जैसा बताया है।
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