जयपुर न्यूज़: राजस्थान विधानसभा का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र 1 सितंबर से शुरू हो सकता है। इसको लेकर सरकार स्तर पर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। कानून और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने जानकारी दी है कि विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से इस विषय में दो बार चर्चा हो चुकी है। अंतिम निर्णय जल्द ही लिया जाएगा।
छह महीने की अवधि खत्म होने से पहले जरूरी है सत्र बुलाना-
गौरतलब है कि बजट सत्र का समापन 24 मार्च को हुआ था और नियमों के अनुसार, छह महीने के भीतर नया सत्र बुलाना अनिवार्य है। यह अवधि सितंबर के अंत तक पूरी हो रही है, इसलिए उससे पहले मानसून सत्र आहूत किया जा रहा है।
7 से 10 दिन तक चल सकता है सत्र-
बताया जा रहा है कि यह सत्र लगभग 7 से 10 दिन तक चल सकता है। संसदीय कार्य विभाग की ओर से सत्र बुलाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे मंजूरी के लिए जल्द ही राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की सहमति मिलने के बाद विधानसभा की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
चार अहम विधेयकों पर होगी चर्चा-
इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण बिल पारित किए जा सकते हैं। बजट सत्र में चार विधेयक पेश किए गए थे, लेकिन वे पारित नहीं हो पाए थे। इनमें से तीन बिल प्रवर समिति को भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट अभी लंबित है। ये बिल हैं:
- राजस्थान कोचिंग सेंटर रेगुलेशन बिल
- राजस्थान भू राजस्व संशोधन विधेयक
- राजस्थान भूजल प्राधिकरण विधेयक
धर्मांतरण विरोधी बिल पर नजरें टिकीं-
3 फरवरी को बजट सत्र के दौरान धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश किया गया था, लेकिन उस पर चर्चा नहीं हो सकी थी। अब इसे मानसून सत्र में पारित करवाने की योजना है। कानून मंत्री ने भी संकेत दिए हैं कि इस बार यह बिल पारित हो सकता है। इस विधेयक में जबरन धर्म परिवर्तन पर कड़ी सजा और अन्य सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं।
उपाध्यक्ष पद पर हो सकता है फैसला-
इस सत्र के दौरान विधानसभा उपाध्यक्ष के रिक्त पद को भरने का निर्णय भी लिया जा सकता है। यह पद लंबे समय से खाली चल रहा है। वहीं, विपक्ष भी कानून-व्यवस्था सहित कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है।
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