सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
यह धारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की पुरानी राजद्रोह संबंधी धारा 124A का स्थान लेती है।
यह याचिका सेवानिवृत्त सेना अधिकारी एस.जी. वोंबटकेरे ने दायर की है। उन्होंने पहले भी IPC की धारा 124A के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया है कि BNS की धारा 152 संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(a) और 21 का उल्लंघन करती है और यह “नए पैकेज में पुराना राजद्रोह कानून” है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि भले ही शब्द बदल दिए गए हों, लेकिन धारा 152 का दायरा और भी बढ़ा दिया गया है, जिससे अभिव्यक्ति के कई रूप – जैसे बोली, लिखित, इलेक्ट्रॉनिक, सांकेतिक या वित्तीय माध्यम – अपराध की श्रेणी में आ जाते हैं। इसमें “अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना” जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो बहुत अस्पष्ट हैं और मनमानी कार्रवाई की गुंजाइश छोड़ते हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निलंबित पुराने राजद्रोह कानून को फिर से लागू कर दिया है। याचिकाकर्ता ने इसे लोकतांत्रिक संवाद और असहमति के अधिकार के लिए खतरा बताया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2022 को IPC की धारा 124A को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था और केंद्र व राज्यों से कहा था कि इस धारा के तहत कोई नया केस दर्ज न किया जाए और लंबित मामलों में भी कार्रवाई रोकी जाए।
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