राजस्थान सरकार ने बेटियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त करने के लिए एक प्रभावशाली कदम उठाया है। गिरते लिंगानुपात को संतुलित करने और बालिकाओं को सुरक्षित भविष्य देने की मंशा से राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री बालिका संबल योजना की शुरुआत की है।
यह योजना न केवल बालिकाओं को आर्थिक सुरक्षा देने का काम करेगी, बल्कि समाज में बेटा-बेटी के बीच व्याप्त असमानता की सोच को भी चुनौती देगी।
मुख्यमंत्री बालिका संबल योजना के तहत यदि कोई परिवार दो बेटियों के जन्म के बाद स्थायी नसबंदी करवाता है तो राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक बालिका के नाम पर ₹30,000 की राशि सुकन्या समृद्धि योजना या डाक विभाग की किसी अन्य लघु बचत योजना में निवेश की जाएगी।
इसके अलावा, दंपती को ₹2 लाख तक का दुर्घटना बीमा कवर भी उपलब्ध कराया जाएगा।
राज्य के कई जिलों में इस योजना का लाभ पात्र दंपतियों को दिया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मार्च महीने में डाक विभाग के साथ एक समझौता भी किया गया है जिसके तहत निवेश प्रक्रिया को सुचारु और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम किया गया।
इस योजना में शामिल बालिकाएं जब 21 वर्ष की होंगी, तब संपूर्ण राशि निकाल सकेंगी, वहीं 18 वर्ष की उम्र में उच्च शिक्षा या विवाह के लिए आंशिक निकासी की सुविधा भी उपलब्ध है।
दो बेटियों के बाद नसबंदी पर मिलेगा आर्थिक लाभ
इस योजना का लाभ केवल राजस्थान के मूल निवासियों को मिलेगा, जिनके परिवार में केवल दो बेटियां हों और उन्होंने किसी सरकारी, मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल या अधिकृत NGO में नसबंदी करवा रखी हो। साथ ही दोनों बेटियों की उम्र अधिकतम 5 वर्ष तक होनी चाहिए।
बेटियों को बराबरी का दर्जा दिलाने की कोशिश
आवेदन उसी जिले में किया जा सकता है जहां नसबंदी करवाई गई हो। राज्य सरकार अधिक से अधिक पात्र परिवारों तक इस योजना की जानकारी पहुंचाने के लिए जनजागरूकता अभियान चला रही है। सरकार का मानना है कि यह पहल बेटियों के लिए एक सुरक्षित और सशक्त भविष्य की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी और लिंग समानता की दिशा में समाज की सोच को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।
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