राजस्थान में कैबिनेट मंत्री और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट किया कि राज्य के शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग और संस्कृत शिक्षा विभाग में अब किसी भी विदेशी उत्पाद की खरीद या उपयोग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा।
अगर खरीद की विदेशी वस्तु, तो होगी वसूली और कार्रवाई-
मदन दिलावर ने सख्त लहजे में कहा कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी विभाग में विदेशी सामान की खरीद करता है, तो उस पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। इतना ही नहीं, उस वस्तु की पूरी लागत उसी कर्मचारी से वसूली जाएगी।
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा बढ़ावा-
मंत्री दिलावर ने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूती देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस पहल से देश में निर्मित उत्पादों का उपयोग बढ़ेगा और देश की आर्थिक मजबूती में योगदान मिलेगा।
विदेशी वस्तुएं सिर्फ मंत्री स्तर की अनुमति से ही खरीदी जा सकेंगी-
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई वस्तु ऐसी है जो केवल विदेशों में ही उपलब्ध है और उसका उपयोग अत्यंत आवश्यक है, तो मंत्री स्तर पर विशेष अनुमति मिलने के बाद ही उसकी खरीद की जा सकेगी।
रक्षाबंधन पर भी स्वदेशी राखियों की अपील-
राखी के पर्व को लेकर भी शिक्षा मंत्री ने स्वदेशी राखियों को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि देशवासियों को चाहिए कि चीन में बनी राखियों का बहिष्कार करें और भारतीय बहनों द्वारा निर्मित राखियों को ही खरीदें। इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
हर वस्तु में हो स्वदेशी अपनाने की पहल-
मदन दिलावर ने आगे कहा कि देशवासी शेविंग ब्लेड से लेकर टूथपेस्ट तक रोजमर्रा की हर चीज में स्वदेशी विकल्पों को अपनाएं। उन्होंने कहा- केवल सरकारी विभागों में ही नहीं, आम जनता को भी विदेशी वस्तुओं के खिलाफ आंदोलन छेड़ना होगा।
विदेशी वस्तुओं से भारत को नुकसान – चीन और पाकिस्तान पर निशाना-
मंत्री ने यह भी कहा कि कई विदेशी कंपनियां भारत से मुनाफा कमाकर उस धन का उपयोग पाकिस्तान और चीन की मदद में करती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया था, जबकि वह भारत में अपने उत्पाद बेचकर मुनाफा कमा रहा था।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सख्त कदम-
राजस्थान सरकार के इस कदम को देखा जा रहा है ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक ठोस प्रयास के रूप में। अब देखना होगा कि इस आदेश का पालन किस स्तर तक होता है और जनता इसमें कितना सहयोग देती है।
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