Tuesday, October 7, 2025
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Suicide: एग्जाम में असफलता का प्रेशर हर साल बढ़ा रहा छात्रों की आत्महत्या की संख्या

Suicide: हर साल करोड़ों की संख्या में अभ्यर्थी अलग-अलग कॉम्पीटिशन एग्जाम के लिए उतरते हैं। वे यह सपना लेकर आते हैं कि किसी अच्छी नौकरी में चयन हो सके और ज़िंदगी सुरक्षित हो सके। लेकिन जब निराशा हाथ लगती है, तो कई बार वे अवसाद (डिप्रेशन) के शिकार हो जाते हैं।

आँकड़ों की बात करें तो शिक्षा नगरी कोटा में साल 2025 के जनवरी माह के पहले 18 दिन में ही 4 छात्रों ने आत्महत्या कर ली। (सिर्फ कोटा में अब तक 14 सुसाइड केस) वहीं साल 2023 में कुल 26 छात्रों ने आत्महत्या की थी। 

इन्हीं में से एक छात्र मनन जैन भी था।

उसके मामा ने कहा कि “पढ़ाई में सुपर इंटेलिजेंट था, कभी ऐसा नहीं लगा कि वह आत्महत्या करेगा।” लेकिन क्या किसी को यह पता चल सकता था कि उस समय उसके दिमाग में क्या चल रहा था? शायद यही चिंता कि अगर एग्जाम में असफल हुआ तो घरवाले क्या सोचेंगे। इसी दबाव के चलते उसने JEE परीक्षा से दो दिन पहले 18 जनवरी 2025 को अपनी नानी के घर में फाँसी लगा ली।

परीक्षाओं का दबाव समझना मुश्किल नहीं है।

साल 2024 में 24 लाख से अधिक छात्रों ने NEET और लगभग 12 लाख ने JEE Main दिया। सीमित सीटें (NEET में लगभग 1.5 लाख और JEE Advanced में केवल 17,000) तनाव का बड़ा कारण हैं।

इसी तरह REET परीक्षा में भी इस साल 14 लाख से ज़्यादा अभ्यर्थी बैठे, जबकि चयन दर महज़ 20–30% रही।

प्रदीप बघेल का शव तालाब से निकालते गोताखोर।

इसी दबाव में आज मंगलवार को ही में एक REET अभ्यर्थी प्रदीप बघेल ने धौलपुर जिले के छीतरिया ताल (तालाब) में कूदकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड नोट।

उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा – 
“REET का प्रेशर अब मैं सहन नहीं कर पा रहा हूँ। इस संघर्ष से थक चुका हूँ। माँ-पापा, अंतिम क्षण में आपकी सेवा नहीं कर पाया मुझे माफ़ कर देना।”

बढ़ते आत्महत्या के इन आँकड़ों पर चिंता जताते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने जनवरी 2025 में सरकार से जवाब माँगा।

सरकार ने कहा कि वह राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक लेकर आ रही है, जिसमें संकटग्रस्त छात्रों के लिए तुरंत हस्तक्षेप की व्यवस्था, प्रतिदिन पाँच घंटे से अधिक कक्षाएँ न होने और साप्ताहिक अवकाश को अनिवार्य करने, छात्रों को तनाव से राहत देने के लिए सुधारात्मक (रिमेडियल) कक्षाओं और संतुलित समय-सारणी का प्रावधान, बीच में पढ़ाई छोड़ने पर प्रो-राटा आधार पर फीस वापसी की व्यवस्था तथा किसी भी चल रहे कोर्स के दौरान फीस में वृद्धि पर रोक जैसे नियम शामिल हैं। हालांकि, यह विधेयक अब तक लागू नहीं हो सका है।

इसी तरह सर्वोच्च न्यायालय ने भी मई 2025 में सख्त रुख अपनाते हुए राजस्थान सरकार से पूछा कि एक NEET अभ्यर्थिनी की आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि छात्रों की आत्महत्या की घटनाएँ बेहद गंभीर हैं और सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने होंगे।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau – NCRB) के अनुसार वर्ष 2022 में पूरे भारत में कुल 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की।

जिनमें राजस्थान भी शीर्ष 10 राज्यों में शामिल रहा और यहां 571 छात्र आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। 2022 के बाद के कुल आंकड़े अभी तक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी नहीं किए गए हैं।

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