जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को आयकर विभाग के पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त पवन कुमार शर्मा और पूर्व आईटीओ शैलेंद्र भंडारी को रिश्वत लेने के मामले में चार-चार साल की कैद और प्रत्येक पर 1.10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
अदालत ने मामले के तीसरे आरोपी, स्थानीय ज्वैलर चंद्रप्रकाश कट्टा को बरी कर दिया। इस फैसले के बाद दोनों अधिकारियों को जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया।
दरअसल, यह मामला 31 मार्च 2015 का है। बाड़मेर के व्यापारी किशोर जैन ने शिकायत दी थी कि आयकर विभाग ने उनकी टैक्स देनदारी को 2.5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 12 करोड़ रुपए कर दिया। शिकायत के अनुसार, विभाग के अधिकारी प्रारंभ में 25 लाख रुपए की रिश्वत मांग रहे थे, जिसे बाद में बातचीत के दौरान 23 लाख रुपए तय किया गया।
सीबीआई का ट्रैप ऑपरेशन
शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने 31 मार्च 2015 को ज्वैलर चंद्रप्रकाश कट्टा के शोरूम में ट्रैप ऑपरेशन किया। इस दौरान आईटीओ शैलेंद्र भंडारी को 15 लाख रुपए लेते रंगे हाथ पकड़ा गया, जो कथित तौर पर मुख्य आयकर आयुक्त पवन कुमार शर्मा की ओर से लिए जा रहे थे। ऑपरेशन के तुरंत बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
जांच में खुली संपत्ति की हकीकत
जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि वर्ष 1981 बैच के आईआरएस अधिकारी पीके शर्मा के नाम जयपुर, जोधपुर, अजमेर और बेंगलुरु में करीब 400 करोड़ रुपए की संपत्ति दर्ज है। उनके बंगलों में हर कमरे में 18-18 हजार रुपए के डिजाइनर पंखे लगे थे। चाय पीने के लिए चांदी के कप और सोने के चम्मच का इस्तेमाल किया जाता था। उनके घर से 50 बोतल महंगी विदेशी शराब भी बरामद हुई।
कोर्ट और सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। 1 अप्रैल 2015 को तीनों को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया। शर्मा ने कोर्ट में आरोपों से इनकार किया और शैलेंद्र भंडारी के बयान को झूठा बताया। नवंबर 2015 में पवन कुमार शर्मा की जोधपुर की आठ संपत्तियों पर छापेमारी की गई। दोनों अधिकारियों को विभाग से निलंबित किया गया और बाद में जमानत पर रिहा किया गया।