Sunday, October 5, 2025
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कफ सिरप से 11 बच्चों की मौत! राजस्थान, मध्य प्रदेश और अब तमिलनाडु में बैन

राजस्थान में मुफ्त दवा योजना के तहत वितरित कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद सरकार ने गंभीर कदम उठाया है। राज्य सरकार ने कायसन्स फार्मा की सभी 19 दवाओं के वितरण पर रोक लगा दी है और कंपनी की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

सरकार ने यह कदम तीन बच्चों की मौत की घटना के बाद उठाया। इन सिरपों का वितरण राज्य की मुफ्त दवा योजना के तहत किया जा रहा था। इस कंपनी को पहले भी ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है।

भरतपुर में 2 वर्षीय तीरथराज सिंह और सीकर में पांच वर्षीय नीतीश की मौत कफ सिरप लेने के बाद हुई मानी जा रही है। जांच अभी जारी है।

एडवाइजरी – राज्य सरकार ने चेतावनी जारी की है कि अब कफ सिरप दो साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाएगा। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने भी इसी संबंध में एडवाइजरी जारी की है। हेल्थ डिपार्टमेंट ने निर्देश दिए हैं कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक दवाओं पर आवश्यक चेतावनी अंकित की जाए।

19 दवाओं पर रोक –

कायसन्स फार्मा सिर्फ खांसी के सिरप ही नहीं बनाती, बल्कि फॉलिक एसिड सिरप, एजिस्पर-500, मैकलिनॉस, लैक्टिक एसिड बेसिलस टैबलेट, ग्लोअप-एसएफ समेत अन्य 18 दवाओं का भी उत्पादन करती है। इनमें अधिकांश दवाएं मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित होती हैं। सभी 19 दवाओं के वितरण पर रोक है।

नकली दवाओं का मामला और अधिकारी सस्पेंड

लोकसभा ने मार्च 2025 में राजस्थान में पकड़ी गई नकली दवाओं की जानकारी डीजीसीए से मांगी थी। इसके जवाब में ड्रग विभाग ने 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2024 तक 55 दवाओं को नकली माना। लेकिन बाद में नीति आयोग और विधानसभा को भेजे गए आंकड़े कम दिखाए गए। जांच में पाया गया कि ड्रग कंट्रोलर (द्वितीय) राजाराम शर्मा ने नकली दवाओं की परिभाषा में बदलाव कर कई दवाओं को सूची से हटा दिया। राजाराम शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया है।

बता दें कि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में परासिया ब्लॉक के 9 बच्चों की मौत कोल्ड्रिफ कफ सिरप में जहरीले केमिकल डाईथाइलीन ग्लाइकोल (48.6% मात्रा में) मिलने के कारण हुई, जिसकी पुष्टि तमिलनाडु सरकार की जांच में श्रीसन कंपनी, कांचीपुरम यूनिट से हुई। इसके बाद तमिलनाडु ने इस सिरप के निर्माण और बिक्री पर रोक लगा दी।

मृतकों के अलावा कई बच्चे अभी भी इलाजाधीन हैं। मध्यप्रदेश के डिप्टी CM राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि राज्य में 12 दवाइयों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिनमें तीन की रिपोर्ट में कोई हानिकारक तत्व नहीं मिला।

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