जयपुर के एसएमएस ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात लगी आग ने बड़ा हादसा कर दिया। अब तक 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग झुलसने और दम घुटने से घायल हुए हैं।
बताया जा रहा है कि रात करीब 11 बजकर 20 मिनट पर ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर रूम में आग लगी। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की आशंका जताई जा रही है।
हादसे के वक्त न्यूरो आईसीयू में 11 मरीज भर्ती थे, जबकि बगल वाले आईसीयू में 13 मरीज थे। धुआं फैलने के बाद अफरा-तफरी मच गई। धुआं सबसे पहले मरीजों के परिजनों ने देखा और तुरंत स्टाफ को बताया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कुछ ही मिनटों में पूरा वार्ड धुएं से भर गया।
परिजनों ने खुद अपने मरीजों को बाहर निकाला, कई लोगों को स्ट्रेचर और बेड समेत सड़क तक लाया गया। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। धुएं की वजह से दमकलकर्मियों को भी अंदर घुसने में भारी दिक्कत आई।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान –
गोविंद सिंह डोटासरा का बयान –
इस घटना पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “पर्ची की सरकार रही तो यही होगा।”
उन्होंने कहा कि छह-सात लोगों की आग लगने से मौत हो गई, और सरकार अभी तक सो रही है। आज हम देख रहे हैं कि छह-सात दिन से एक खांसी की दवाई लेने से लोग मर रहे हैं। सात से आठ मौतें हो चुकी हैं, और चिकित्सा मंत्री दवाई वाली कंपनियों से मिलकर उन्हें क्लीन चिट दे रहे हैं। भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी हुई यह सरकार है।
डोटासरा ने कहा कि अगर इस तरीके से प्रमोशन और पर्चियों से सरकारें बनेंगी, तो हालात ऐसे ही होंगे। इसलिए समय रहते मोदी को इस पर्ची को बदलना चाहिए। अच्छे लोगों को जिम्मेदारी देकर कानून व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए। बहुत गंभीर बात है कि हमारी नाक के नीचे, राजधानी के अंदर इस तरह सिस्टम की लापरवाही से आग से मौतें हो रही हैं। पहले केमिकल हादसा हुआ था, लेकिन आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई।
आपने देखा होगा कितनी मौतें हुई थीं, और केवल एक डिवाइडर कट गलत होने के कारण वो हादसा हुआ था। उसकी भी जिम्मेदारी सरकार ने नहीं ली। कंपनियों से भ्रष्टाचार करके उन्हें क्लीन चिट दी जा रही है। और आज तो आप देख ही रहे हैं कि शायद सरकार अभी तक आई भी नहीं होगी, मंत्री सो रहे होंगे। मुख्यमंत्री का कोई मतलब नहीं है, उन्हें तो दिल्ली से पर्ची आएगी तब वे यहां आएंगे।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम और अन्य मंत्री देर रात अस्पताल पहुंचे और जांच रिपोर्ट मांगी। हादसे के बाद शासन स्तर पर 6 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है, वहीं FSL की टीम भी मौके पर पहुंचकर साक्ष्य जुटा रही है।
हादसे में हुई इन आठ लोगों की मौत — पिंटू (सीकर), दिलीप (जयपुर), सर्वेश (आगरा), रुकमणि (भरतपुर), कुषमा (भरतपुर), बहादुर (जयपुर), दिगंबर वर्मा (सवाई माधोपुर) और श्रीनाथ (भरतपुर)।
आग में पुलिसकर्मियों ने निभाई देवदूत जैसी भूमिका
एसएमएस पुलिस थाने में तैनात पुलिस कांस्टेबल हरिमोहन रविवार देर रात एसएमएस ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। उन्होंने बताया कि उन्हें एक झगड़े की सूचना मिली थी, जिसके बाद कुछ लोगों को सीधे अस्पताल की इमरजेंसी में मेडिकल जांच के लिए लाया गया।
रात लगभग ग्यारह बजे, मरीजों से पता चला कि ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर स्थित आईसीयू के पीछे आग लग गई है और कई मरीज वार्ड में फंसे हुए हैं। यह सुनते ही हरिमोहन ने तुरंत अपनी टीम को हादसे की जानकारी दी और बचाव कार्य में जुट गए।
हरिमोहन अपने साथी पुलिसकर्मियों वेदवीर और ललित के साथ आईसीयू वार्ड की ओर दौड़े। उन्होंने मुंह पर कपड़ा बांधकर खुद को धुएं से अचेत होने से बचाया और फंसे हुए मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालने में पूरी ताकत लगा दी। आईसीयू और ओटी के शीशे तोड़कर उन्होंने कई मरीजों को बाहर निकाला।