Spotnow news: भाजपा नेता और पूर्व उप सभापति वीरेंद्र बापना का सोमवार को निधन हो गया। 73 वर्षीय बापना हाल ही में डेंगू से संक्रमित हुए थे। और उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं उन्होंने सुबह अंतिम सांस ली।
उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। और उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए जो उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं।
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वीरेंद्र बापना का राजनीतिक करियर
बापना ने 1999 से 2004 तक उदयपुर नगर परिषद के उप सभापति के रूप में कार्य किया। और इस दौरान उन्होंने नगर परिषद भवन अनुमति समिति के अध्यक्ष का पद भी संभाला। इसके बाद उन्होंने 2004 से 2009 तक फिर से इस पद पर कार्यभार ग्रहण किया। इसके अतिरिक्त बापना होटल एसोसिएशन उदयपुर के अध्यक्ष भी रह चुके थे।
1979 में उन्होंने सुखाड़िया विश्वविद्यालय के छात्रसंघ कार्यकारिणी में सांस्कृतिक मंत्री के रूप में काम किया और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे। भाजपा के उत्तर मंडल अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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उनके निधन पर भाजपा के कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। शहर जिला अध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, देहात जिला अध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह चौहान, पूर्व महापौर रजनी डांगी और चंद्र सिंह कोठारी जैसे नेताओं ने उन्हें एक सच्चे मित्र और मार्गदर्शक के रूप में याद किया।
डेंगू का बढ़ता खतरा
राजस्थान में इस वर्ष डेंगू के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। 2024 में अब तक 8,500 से अधिक डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें से 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू की रोकथाम के लिए विशेष उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है।
उदयपुर में हाल के दिनों में डेंगू के कारण अन्य कई मौतें भी हुई हैं। 5 अक्टूबर को RAS अधिकारी तरु सुराणा का निधन हुआ। जिन्हें बिगड़ती तबीयत के बाद एयरलिफ्ट कर चेन्नई ले जाया गया था। इसी तरह चित्तौड़गढ़ की पूर्व प्रधान चेतना मेघवाल और जयपुर के डॉ. ज्योति मीणा भी डेंगू के चलते जान गंवा चुके हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने जनता को सतर्क रहने और संभावित लार्वा प्रजनन स्थलों को समाप्त करने की सलाह दी है। बापना का निधन डेंगू के बढ़ते मामलों की गंभीरता को उजागर करता है। और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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