Spotnow news: सुप्रीम कोर्ट ने को बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में यह दावा किया गया था कि भ्रष्टाचार में शामिल नेताओं को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाए और भारतीय चुनावों में बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाए।
याचिका डॉ. केए पॉल द्वारा दायर की गई थी जिन्होंने यह तर्क प्रस्तुत किया कि कई देशों में बैलेट पेपर के माध्यम से चुनाव सफलतापूर्वक कराए जाते हैं और भारत में भी इसे अपनाया जाना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले शामिल थे जिन्होंने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। बेंच ने कहा कि जब उम्मीदवार ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से चुनाव जीतते हैं, तो वह प्रणाली ठीक मानी जाती है। लेकिन जब वे हारते हैं तो वही ईवीएम पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हैं। कोर्ट ने पॉल से यह सवाल भी किया कि अगर बैलेट पेपर से चुनाव होंगे, तो क्या इससे भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा?
पॉल ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया और दावा किया कि इसके साथ छेड़छाड़ संभव है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू तथा पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की संभावना पर चिंता जताई है।
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डॉ. पॉल ने यह भी दावा किया कि उन्होंने 150 से अधिक देशों का दौरा किया है और वहां अधिकांश देशों में बैलेट पेपर से चुनाव होते हैं, जिससे उनका यह विचार आकार ले पाया। हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए यह भी सवाल किया कि क्या बैलेट पेपर से चुनाव होने से भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है?
अंत में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणी दी कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने से कोई भी प्रणाली अपने आप में भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकती। कोर्ट ने इस तरह की याचिकाओं को अस्वीकार करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान में भारतीय चुनावों में ईवीएम का उपयोग जारी रहेगा।