राजस्थान के डीग जिले में पुलिस की दबंगई का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। साइबर ठगी के एक संदिग्ध की तलाश में दबिश देने गई पुलिस ने युवक को घर से खींचकर पीटा और थाने ले जाकर उसके हाथ-पैर तोड़ दिए।
आरोप है कि परिवार वालों के साथ भी मारपीट और घर में तोड़फोड़ की गई। पीड़िता की शिकायत पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पूरे थाने सहित 50 से ज्यादा लोगों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
दरअसल, मामले की शुरुआत 11 अप्रैल को हुई, जब गोपालगढ़ थाने के एएसआई राधाचरण पांच लोगों के साथ हेबतका गांव निवासी तारीफ के घर पहुंचे। तारीफ अलवर की एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है और ईद पर घर आया था। पुलिसकर्मी उसे जबरन घसीटते हुए घर से बाहर ले गए। जब उसकी पत्नी असमीना और अन्य परिजनों ने विरोध किया तो पूरे परिवार को पीटा गया। इसके बाद तारीफ को गाड़ी में डालकर थाने ले जाया गया।
उसी दिन शाम को गोपालगढ़ थाने के एसएचओ मनीष शर्मा करीब 50 लोगों के साथ दोबारा असमीना के घर पहुंचे। आरोप है कि SHO ने असमीना के चाचा फारुख के घर में घुसकर तोड़फोड़ की और जब असमीना ने विरोध किया तो उसे भी पीटा गया।
12 अप्रैल को जब तारीफ को थाने से छोड़ा गया तो वह बुरी हालत में था। परिजन उसे सीकरी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उसके दोनों पैर टूट चुके हैं। इसके बाद तारीफ को जयपुर इलाज के लिए रेफर किया गया।
घटना के बाद असमीना ने डीग एसपी राजेश मीणा और भरतपुर आईजी से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इसके बाद असमीना ने 30 अप्रैल को कोर्ट में याचिका दाखिल की। अदालत ने मामले को गंभीर मानते हुए 21 मई को गोपालगढ़ थाने के एसएचओ मनीष शर्मा, एएसआई राधाचरण, हेड कॉन्स्टेबल विनोद सहित थाने के सभी पुलिसकर्मियों और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने जांच के लिए उच्च अधिकारी को नियुक्त करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद बुधवार को पहाड़ी सीईओ गिर्राज प्रसाद मीणा को जांच सौंपी गई है।
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