Monday, October 13, 2025
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अजमेर में एमडीएस यूनिवर्सिटी का नया विज़न, कुलगुरु ने गिनाईं 8 बड़ी प्राथमिकताएं

अजमेर में एमडीएस यूनिवर्सिटी के नवनियुक्त कुलगुरु प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने विश्वविद्यालय के भविष्य को लेकर अपनी स्पष्ट योजनाएं और प्राथमिकताएं साझा कीं। उन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, प्रशासनिक और बुनियादी ढांचे से जुड़े कई अहम सुधारों की रूपरेखा पेश की। इस दौरान उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को शिक्षा के क्षेत्र में एक “गंभीर खतरा” बताते हुए इसके विवेकपूर्ण और सीमित उपयोग की बात कही।

कुलगुरु की प्राथमिकताएं:

1. शिक्षकों की नियुक्ति और छात्रों की संख्या में इज़ाफा-

अग्रवाल ने बताया कि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए शीघ्र ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। साथ ही विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकन संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।

2. बस सेवा की शुरुआत-

शहर के विभिन्न हिस्सों से छात्रों को विश्वविद्यालय तक लाने के लिए बस सेवा शुरू की जाएगी। छात्र मोबाइल ऐप के जरिए बस सेवा का लाभ उठा सकेंगे।

3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन-

एनईपी 2020 को लागू करने के लिए यूनिवर्सिटी स्तर पर सेमिनार और संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। सभी विभागों और संबद्ध कॉलेजों में इसे पूरी तरह लागू किया जाएगा।

4. ई-रिक्शा सुविधा-

छात्रों और कर्मचारियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय परिसर में ई-रिक्शा सेवा शुरू की जाएगी।

5. डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम-

शोध अनुभाग, लेखा शाखा, परीक्षा विभाग सहित अन्य शाखाओं का डिजिटलीकरण किया जाएगा। ऑनलाइन डॉक्यूमेंट्स (जैसे डुप्लीकेट मार्कशीट, माइग्रेशन) की सुविधा छात्रों को घर बैठे मिलेगी।

6. भवनों का जीर्णोद्धार-

विश्वविद्यालय के पुराने भवनों का नवीनीकरण, शौचालयों का निर्माण, कॉमन रूम और बैठक व्यवस्था बेहतर बनाई जाएगी।

7. प्लेसमेंट और UGC कार्यक्रमों का प्रचार-

प्लेसमेंट दर बढ़ाने, कार्यशालाएं आयोजित करने और यूजीसी के कार्यक्रमों को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा।

8. भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) का समावेश-

विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल किया जाएगा ताकि छात्र अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़े रहें।

AI पर चिंता: जरूरत से ज्यादा उपयोग बना देगा मानसिक गुलाम-

एआई के बढ़ते प्रभाव पर कुलगुरु प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल ने दो टूक कहा,अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बेजा इस्तेमाल होता रहा, तो हम मानसिक रूप से गुलाम बन जाएंगे।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एआई का रचनात्मक और सीमित उपयोग करेगा। यदि कोई छात्र एआई की मदद से असाइनमेंट या रिसर्च करता है और जांच में सामने आता है, तो उस काम को खारिज कर दिया जाएगा। उनका मानना है कि छात्र खुद मेहनत करें, यही वास्तविक शिक्षा है।

नवाचार की दिशा में पहल-

विश्वविद्यालय ने नवाचार के तहत कई नई तकनीकी सुविधाएं शुरू की हैं, जिसमें ऑनलाइन दस्तावेज़ सुविधा शामिल है। डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और गति लाई जाएगी।

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