राजस्थान में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करने के मामले सामने आने के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कार्मिक विभाग (DOP) ने राज्य के सभी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारियों का पुनः मेडिकल परीक्षण कराने का आदेश जारी किया है।
आदेश कार्मिक विभाग के सचिव के.के. पाठक की ओर से जारी सर्कुलर के माध्यम से दिए गए हैं। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि मेडिकल बोर्ड से जांच अनिवार्य होगी और शुरुआत उन कर्मचारियों से होगी जो पिछले पाँच वर्षों में सेवा में नियुक्त हुए हैं।
SOG ने पहले भी पकड़े थे 24 फर्जी मामले
गौरतलब है कि इससे पहले SOG ने 24 कर्मचारियों को फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करते पकड़ा था। इनमें से 2 मामले डीडवाना-कुचामन जिले से जुड़े थे। कुल 29 कर्मचारियों की जांच में केवल 5 ही ऐसे पाए गए जिनकी दिव्यांगता 40 प्रतिशत से अधिक थी।
गलत प्रमाण पत्र पर होगी कड़ी कार्रवाई
कार्मिक विभाग ने सर्कुलर में स्पष्ट कहा है कि यदि जांच में किसी कर्मचारी का प्रमाण पत्र मान्य पैरामीटर पर खरा नहीं उतरता है, तो इसकी सूचना DOP के साथ ही SOG को दी जाएगी। ऐसे मामलों में दोषी कर्मचारियों और प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नए आदेशों के तहत –
- मेडिकल बोर्ड को यह दर्ज करना होगा कि दिव्यांगता स्थायी है या अस्थायी।
- दिव्यांगता का स्तर स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा।
- 40 प्रतिशत से कम दिव्यांग पाए जाने वालों की जानकारी अलग से दर्ज होगी।
- प्रमाण पत्र बनवाने वाले कर्मचारी से हिंदी और अंग्रेजी दोनों में पूरे हस्ताक्षर लिए जाएंगे।
- फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन और हाई-रेजोल्यूशन फोटो खींचना अनिवार्य होगा।
- संबंधित विभाग का एक अधिकारी मेडिकल परीक्षण के दौरान उपस्थित रहेगा।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा का हमला
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर निशाना साधते हुए कहा कि
“मेडिकल बोर्ड से परीक्षण का यह आदेश केवल दिव्यांगजन के लिए क्यों? जब सरकार जांच करा ही रही है, तो फिर समस्त कार्मिकों के दस्तावेजों की क्यों नहीं कराती? दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
हां.. ये अलग बात है कि पूर्व की भाजपा सरकारों में लगे फर्जी कार्मिकों को वो बचाना चाहती है, और वर्षों से राजकीय सेवा में समर्पित समस्त दिव्यांगजनों पर शक संदेह करके अपमान करना चाहती है।”
इस वक्त की बड़ी खबर –
कानून मंत्री बोले – एसआई भर्ती को हाईकोर्ट ने रद्द नहीं किया
इसी बीच कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने SI भर्ती मामले पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने SI भर्ती को रद्द नहीं किया है, बल्कि केवल ऑब्जर्वेशन सरकार को भेजा है। यह ऑब्जर्वेशन बेहद महत्वपूर्ण है और जांच के बाद रिपोर्ट RPSC को भेजी जाएगी।