- Health- Diabetes: यह जानकर हमें गर्व नहीं हो सकता है कि भारत विश्व में डायबिटीज की राजधानी कहलाता है। इसके मायने यह है कि भारत में विश्व के सबसे अधिक डायबिटीज के रोगी रहते हैं।
क्या क्या हो सकते हैं डायबिटीज के कारण –
यहां के नागरिकों में मधुमेह रोग विकसित होने की संभावनाएं सर्वाधिक हैं। अनुवांशिकी, कसरत की कमी, भोजन पदार्थों की अशुद्धता, मानसिक तनाव, भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की प्रचूरता, केमिकल्स का आवश्यकता से अधिक उपयोग आदि कितने ही कारण हैं, जो भारत में डायबिटीज को फैला रहे हैं। इस रोग का पूरे देश पर आर्थिक बोझ दो लाख करोड़ रुपए सालाना के आसपास पड़ता है और करोड़ों लोगों का जीवन नकारात्मक तरीके से प्रभावित होता है।
Health- Diabetes: इस स्थिति से निबटने के लिए आवश्यक है कि लोगों में इसके बारे में वृहद जानकारी हो और रोग के अपने शरीर में विकास को रोकने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो। इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम शरीर में शक्कर के रक्त स्तर की विस्तृत जानकारी रखें और आवश्यकतानुसार एक चार्ट भी बनाएं ताकि औसत रक्त शक्कर स्तर का पता चल सके क्योंकि यह स्तर कार्य, भोजन, नींद, तनाव आदि के फलस्वरूप तेजी से ऊपर नीचे हो सकता है।
रक्त स्तर आपके उठने के समय, भोजन करने और कसरत की आदत के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। यही कारण होता है जिसकी वजह से आपका चिकित्सक आप को भूखे पेट और भोजन के दो घंटे बाद रक्त शर्करा स्तर को नापने की राय देता है या फिर एक विशेष विधि द्वारा तीन माह का औसत नापने को कहता है जिसे एचबी ए वन सी कहा जाता है।
रक्त शर्करा का सामान्य स्तर भूखे पेट 72-99 मिलीग्राम प्रति डिलि लीटर होता है। भोजन के दो घंटे बाद यह स्तर 140 एमजी प्रति डीएल तक हो जाता है जिसे सामान्य माना जाता है। शर्करा स्तर में ज्यों ज्यों वृद्धि होती है तो सावधान होने की आवश्यकता होनी चाहिए क्योंकि डायबिटीज एक दीमक की तरह का रोग होता है जो समय के साथ शरीर को कमजोर करता रहता है।
बच्चों में चूंकि मस्तिष्क के विकास के लिए अत्यधिक शक्कर की आवश्यकता होती है इसलिए उनका रक्त शर्करा स्तर अधिक होता है। जन्म से पांच वर्ष तक भूखे पेट रक्त शर्करा स्तर 100-180, 6-9 वर्ष की उम्र तक 80-140 और 10 वर्ष के बाद 70-120 एमएल प्रति डीएल होता है परंतु फिर भी इस बारे में शिशु एवम् बालरोग विशेषज्ञ की राय बेहतर विकल्प होता है क्योंकि शिशु और बच्चों में स्थानीय प्रभाव भी होते हैं।
रक्त में शक्कर
रक्त में शक्कर हीमोग्लोबिन से भी बंधी हुई होती है जिसे एचबी ए 1 सी कहा जाता है परंतु यह योग एक स्तर के पार नहीं होना चाहिए वरना हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन वहन क्षमता कम हो जाती है जिसके फलस्वरूप शरीर की विभिन्न कोशिकाएं कमजोर पड़ जाती हैं और एक समय के बाद मृतप्राय भी हो सकती हैं। इस विधि से बीते तीन महीनों के औसत रक्त शर्करा स्तर का भी पता चल जाता है।
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सामान्य व्यक्ति में इस एचबी ए 1 सी का स्तर 5.7 से नीचे होता है और डायबिटीज प्रकट होने के स्थिति में 6.5 या उसके ऊपर हो जाता है। 5.8-6.4 का स्तर प्री डायबिटीज माना जाता है। प्री डायबिटीज या प्रारंभिक डायबिटीज में यदि प्रयास किए जाएं तो शरीर में इस रोग के विकास को रोका जा सकता है।
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इसके अलावा कुछ प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में हार्मोन्स के प्रभावों के चलते रक्त शर्करा स्तर उच्च स्तर पर जा सकते हैं। इस गर्भकालीन मधुमेह कहा जाता है जो सामान्यतया प्रसव के बाद सामान्य हो जाता है पर फिर भी इन महिलाओं को अपनी जीवनशैली और खानपान पर जीवनपर्यंत ध्यान रखना चाहिए।
डायबिटीज बिना किसी लक्षण के भी विकसित हो सकती है इसलिए साल में एक बार रक्त शर्करा स्तर की जांच एक बेहतर निर्णय हो सकता है। रोग के लक्षणों में अत्यधिक भूख लगना, मुंह सुखना, तेजी से वजन में गिरावट, चक्कर आना, बार बार पेशाब की इच्छा और अत्यधिक शारीरिक कमजोरी होना आदि हैं। इनके अलावा हृदय की धड़कन बढ़ना, तेज भूख लगना, मानसिक स्पष्टता में गिरावट, सरदर्द और बार बार दस्त लगना आदि भी मधुमेह की तरफ इशारा करनेवाले लक्षण होते हैं।
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इस रोग को यदि नियंत्रित नहीं रखा जाए तो समय के साथ जीवन की गुणवत्ता पर बड़े दुष्परिणाम होने लगते हैं। जो अंग मुख्यरूप से प्रभावित होते हैं उनमें आंख, गुर्दा, हृदय और रक्त वाहनी तंत्र तथा मस्तिष्क और नर्व्स शामिल हैं। डायबिटीज एक ऐसा रोग है जिसे दृढ़ मानसिकता से रोका जा सकता है, नियंत्रित किया जा सकता है परंतु लोग ऐसा महज दवा का सेवन करके ही प्राप्त करना चाहते हैं जोकि संभव नहीं है।
डायबिटीज के इलाज में दवाएं तीसरे पायदान पर आती हैं। यहां पहला पायदान भोजन एवम् जीवनशैली में परिवर्तन है। दूसरा पायदान शारीरिक श्रम, घूमना और कसरत करना है। यह एक कष्ट की बात है कि लोग उछल कर सीधे तीसरे पायदान पर जाते हैं परंतु यदि लोग उछाल मारेंगे तो कई लोग गिरेंगे और चोटिल भी होंगे। विकल्प आप के हाथ में और अपना भविष्य भी।