Spotnow news: राजस्थान के कुछ गांवों में डिप्थीरिया नामक बीमारी का प्रकोप चल रहा हैं। जिसमें 20 दिनों में 8 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद कुछ बच्चों ने 15 से 24 घंटे के भीतर दम तोड़ दिया। यह बीमारी भरतपुर और डीग जिलों के कुछ इलाको में फैल चुकी है।
डीग जिला सीएमएचओ ने बताया कि- 32 बच्चे पॉजिटिव मिले हैं। जिनमें 8 की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है और स्कूलों में टीका कैंप लगाए जा रहे हैं।
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इन गावों में डिप्थीरिया ने ले ली बच्चों की जान
दुदावल गांव में शहजान की मौत 12 अक्टूबर को हुई। परिवार ने शुरुआत में इसे टॉन्सिल समझकर इलाज कराया। लेकिन उसे टीकाकरण नहीं मिला था। दूसरी ओर ध्वजा मोरोली में कान्हा की मौत 10 अक्टूबर को हुई। उसके परिवार ने पहले झाड़-फूंक का सहारा लिया और फिर अस्पताल ले गए। जहां डिप्थीरिया का पता चला। कान्हा का भी टीकाकरण नहीं हुआ था।
सोनपुर पट्टी गांव में 6 वर्षीय सुमित की मौत 28 सितंबर को हुई, उसे टीका नहीं लगा था। और परिवार ने अस्पताल जाने में देरी की। इसी तरह धर्मशाला गांव में अकरीन की मौत भी 28 सितंबर को हुई। उसके पिता ने बताया कि बच्चे को टीका नहीं लगा था। दोनों मामलों में टीकाकरण की कमी और समय पर चिकित्सा सहायता न मिलने के कारण गंभीर परिणाम सामने आए।
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प्रशासन की लापरवाही
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई परिवारों ने आरोप लगाया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा सहयोगिनियों ने समय पर टीकाकरण नहीं कराया। परिवारों ने कहा कि उन्हें टीकाकरण के बारे में कोई सूचना नहीं मिली।
डिप्थीरिया की जानकारी
डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग है। जो कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया बैक्टीरिया से फैलता है। इसके लक्षणों में गले में सूजन, सांस लेने में कठिनाई और बुखार शामिल हैं। बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण अनिवार्य है। जो इस क्षेत्र में कम जागरूकता के कारण नहीं हो पा रहा है।
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डिप्थीरिया से बचाव के उपाय
डिप्थीरिया से बचाव के लिए परिवारों को बच्चों का टीकाकरण कराना चाहिए और बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग को भी जागरूकता फैलाने और टीकाकरण के लिए सक्रिय रूप से काम करना होगा।
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