न्यूज डेस्क @ जयपुर। Covid : शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर रामावतार शर्मा कहते हैं कि मैंने अपने 44 वर्ष की चिकित्सा सेवा में पिछले दो वर्षों में एक बड़ा परिवर्तन देखा है।
वायरस संबंधी रोग मौसम परिवर्तन के साथ आते रहते थे और हर चक्र कोई तीन से चार हफ्ते का हुआ करता था। हालांकि कुछ लोग गम्भीर रूप में बीमार हुआ करते थे पर अधिकतर लोग कोई पांच दिनों में पूर्ण स्वस्थ हो जाया करते थे। कोई एक महीने में वायरस अचानक गायब हो जाता था और अगले छह महीने काफी राहत भरे हुआ करते थे।
कोविड महामारी के बाद और विशेषकर पिछले दो वर्षों में वायरल बुखार पूरे साल बना हुआ है। इस वायरल आक्रमण में कोई राहत भी नहीं है।
एक बार का बुखार पीड़ित व्यक्ति को कोई एक महीने तक अत्यधिक कमजोर बनाए रखता है। इस कमजोरी का उनके कार्य पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा अनिंद्रा, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय रोगों में तेजी से वृद्धि होती देखी जा रही है। इन सबको देखते हुए कई बातों पर विचार करना लाभदायक हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड 19 महामारी की समाप्ति की घोषणा कर दी है परंतु वह कोरोना वायरस अभी भी मौजूद है। यदि वह एक बार घातक रूप ले सकता है तो दुबारा सक्रिय क्यों नहीं हो सकता ?
क्या आप व्यक्तिगत और सरकारी स्तर पर इसका मुकाबला करने में पहले से अधिक तैयार हैं ? अस्पतालों में करोड़ों रुपए में खरीदे गए ऑक्सीजन प्लांट्स निष्क्रिय ही नहीं बल्कि पूरी तरह से बेकार हो गए हैं।
लड़ाई तब भी ऑक्सीजन सिलेंडर की थी, लड़ाई अब भी ऑक्सीजन सिलेंडर की ही होगी। कहीं कुछ नहीं बदला है। हम आज भी 2020 – 21 की तरह ही असहाय खड़े हैं। हममें से सभी लोग वायरस की मेहरबानी पर ही आश्रित हैं कि वह नया और जीवनभक्षी वेरिएंट नहीं बना रहा है। कोविड महामारी के बाद देश की चिकित्सा व्यवस्था में क्या परिवर्तन आए जो आपको आश्वस्त करते हैं ?
क्या कोविड जैसी त्रासदी के बावजूद मनुष्य में कोई चेतना जागृत हुई है? पूरे विश्व में और विशेषकर भारत में किसी न किसी बहाने लोगों का हजूम इकट्ठा होता नजर आ रहा है। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, राजनीतिक रैलियां और धार्मिक स्थलों की अत्यधिक भीड़ किसी भी दिन वायरस का कोई घातक वेरिएंट पैदा कर सकती है जो लाखों जीवन तबाह कर सकता है।
फिर चाहे हम चीन को आरोपित करें या भारत को, अमेरिका या अफ्रीका परंतु जिन लोगों की मृत्यु हुई उनके लिए यह बहस अर्थहीन ही होगी।
इस तरह से स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है कि न तो भारत का आधारभूत मेडिकल ढांचा किसी महामारी के लिए तैयार है और ना ही लोगों में किसी तरह की जागृति है। पृथ्वी की बढ़ती हुई उष्णता नए वायरस के लिए उचित वातावरण तैयार कर रही है और जनता भीड़ बना कर उसे आमंत्रित कर रही है।