न्यूज डेस्क @ जयपुर। Food: यदि रात का भोजन 9 बजे के बाद किया जाता है तो 8 बजे रात्रि भोजन की तुलना में यह हार्ट अटैक की संभावनाओं को लगभग 28 प्रतिशत अधिक बढ़ा देता है।
इसके उपरांत हर एक घंटे की देरी हार्ट अटैक की संभावनाओं को 6 प्रतिशत अधिक बढ़ा देती है। इसके विपरीत यदि रात के भोजन एवम् सुबह के नाश्ते के बीच का अंतराल यदि एक घंटे और लंबा किया जाता है तो हृदय रोग की संभावनाएं 7 प्रतिशत प्रति घंटे की दर से कम होती जाती है।
उदाहरण के लिए यदि आप रात का भोजन सूर्यास्त के साथ 6-7 बजे , अगले दिन हल्का नाश्ता सुबह 6-7 बजे और सुबह का भोजन करीब 9-10 बजे ग्रहण करते हैं तो एक क्रियाशील जीवनशैली में आपकी हार्ट अटैक की संभावनाएं काफी हद तक कम हो जाती हैं।
दरअसल, हमारे शरीर में एक लय होती है जो सूर्य के चक्र के साथ बंधी होती है। तकनीकी भाषा में इसे सिर्केडियन रिथम या लय कहा जाता है। इस चक्राकार लय को हम अपने शरीर में लेकर ही जन्मे हैं और हमसे यह आशा की जाती है कि हम हमारा जीवन इस लय के अनुसार ही जिएंगे।
यह चक्र 24 घंटे का होता है जो हमारे व्यवहार, चयापचन ( मेटाबॉलिज्म ) और फिजियोलॉजी ( शरीर क्रिया विज्ञान ) को नियंत्रित करता है। सामान्य तरीके से समझें तो हमारे भोजन, निंद्रा, कसरत आदि को हमें सूर्य के 24 घंटे के चक्र से साथ जोड़ने का प्रयास करना चाहिए ताकि हमारा सारा जीवन इस प्राकृतिक स्थिति के साथ लयबद्ध हो जाए जिसके फलस्वरूप हम एक स्वस्थ और उपयोगी जीवन जी सकें।
जीवन वही होता है जिसमें रस होता है। उमंग, जिजीविषा, विस्मय और आश्चर्य भाव से लबालब जिंदगी ही वास्तविक जीवन होता है वरना तो बस सब सांस लेना मात्र ही होगा।
जिंदा रहना एक बात है परंतु जिंदगी को जीना एक बिल्कुल ही अलग बात होती है। शरीर की अपनी एक बॉडी क्लॉक होती है और ऐसे में यदि लगातार इसके विपरीत कार्य किया जाए तो हार्मोन्स की लय बिगड़ने से कई तरह की समस्याएं उभर कर आ सकती हैं। कई आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययन तथा प्राचीन अनुभवों के संकलन स्पष्ट रूप में बताते हैं कि यदि सुबह और शाम का भोजन दोनों समयकाल के प्रारंभिक घंटों में ग्रहण किया जाए तो यह हृदय एवम् सामान्य स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।
शरीर को अपने कार्यों के लिए प्रति पल ऊर्जा चाहिए होती है जो वह सामान्य स्थिति में ग्लूकोज और अन्य कार्बोहाइड्रेड से प्राप्त करता है। अब यदि हम रात के भोजन और सुबह के नाश्ते के बीच के समय को 12 घंटे तक बढ़ाते हैं तो शरीर रात्रिकाल में ऊर्जा के लिए चर्बी को काम में लेने लगता है। इसके फलस्वरूप शरीर का वजन, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर नियंत्रण में आ जाते हैं।
व्यक्ति को नींद बेहतर आती है, एसिड रिफ्लक्स कम होता है, मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और पेट की चर्बी कम हो जाती है। इन सब बातों को देखते हुए सलाह बनती है कि रात का भोजन 6-7 बजे या हर हालात में 9 बजे से पहले समाप्त कर लेना चाहिए तथा सुबह हल्का नाश्ता 5-7 बजे और लंच 10 बजे तक पूर्ण कर लेना चाहिए। परंतु कुछ लोग अपने कार्य की आवश्यकताओं की वजह से चाह कर भी ऐसा नहीं कर पाते हैं। इन लोगों को चाहिए कि वे अपना नाश्ता और सुबह का भोजन ( लंच ) बड़ी मात्रा में लें परंतु रात का भोजन हल्का और अल्प मात्रा में रखें।
हालांकि ऐसे लोगों के लिए सिर्केडियन लय का जीवन तो संभव नहीं है पर सुबह 7-10 बजे भारी नाश्ता और 2-3 बजे भारी लंच के बाद रात को हल्का सा डिनर रख कर ये अपने हृदय को कुछ राहत दे सकते हैं।
हमें ध्यान में रखना चाहिए कि हमारे जीवनदायी अंग हृदय, फेफड़े, लीवर, आंतें और मस्तिष्क रात में 11 बजे से 3 बजे के बीच स्लीपिंग मोड ( निंद्रित स्थिति) में चले जाते हैं।
ऐसे में यदि आप उन्हें भोजन के बोझ से लादते हो तो आप अपना ही नुकसान करते हो। रात की नींद में होने वाली मृत्यु का एक कारण रात को दबा कर भोजन करना भी हो सकता है इस बात को कभी भी भूलना नहीं चाहिए।
(यह लेख जयपुर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर रामावतार शर्मा ने लिखा है।)