Friday, November 1, 2024
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Spotnow News: साइबर ठगी होने पर 30 मिनट मे कैसे वापस होंगे पैसे

Spotnow News: जयपुर. आपका क्रेडिट कार्ड ब्लॉक हो गया है…आपकी लॉटरी लगी है….कंपनी सस्ता लोन दे रही है…घर बैठे पैसे कमाना चाहते हैं तो लिंक पर CLICK करो…ऐसे ही झांसे में लेकर साइबर ठग राजस्थान की जनता से करोड़ों रुपए की ठगी की जा चूकी हैं।

एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आप थोड़ी सी सावधानी बरतें तो ठगी से बच सकते हैं। साथ ही ठगी का शिकार होने पर भी अपना पैसा वापस पा सकते हैं। जोधपुर ग्रामीण पुलिस ने पिछले 2 साल में साइबर ठगों के खाते फ्रीज कर पीड़ितों के 59 लाख रुपए रिफंड करवाए हैं।

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किस तरह करते है मोबाइल हैक

साइबर ठगी अक्सर रिमोट एक्सेस ऐप के जरिए होती है, जो एक बार आपके मोबाइल में इंस्टॉल होने पर आपकी सारी जानकारी चुरा लेते हैं।

साइबर ठग सामान्य दिखने वाले संदेशों के माध्यम से लुभावने ऑफर, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना या लोन योजना, के लिंक भेजते हैं। जब आप इस लिंक पर क्लिक करते हैं, तो यह ऐप अपने आप आपके मोबाइल में डाउनलोड हो जाता है।

कई बार ठग वॉट्सऐप पर भी संदेश भेजते हैं। यदि आपके वॉट्सऐप में ऑटो डाउनलोड चालू है, तो ये ऐप बिना किसी क्लिक के भी अपने आप इंस्टॉल हो सकते हैं।

एक बार ऐप इंस्टॉल हो जाने पर, हैकर आपकी मोबाइल स्क्रीन को लाइव देखकर आपके बैंक खातों के पासवर्ड, UPI पेमेंट पिन और अन्य संवेदनशील जानकारी हासिल कर लेते हैं।

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ठगी के बाद 30 मिनट का समय सबसे अहम

जोधपुर ग्रामीण पुलिस की साइबर सेल के ने बताया कि साइबर ठगी होने के बाद 30 मिनट का समय सबसे अहम होता है। ठगी के बाद साइबर ठग सारा पैसा अपने बैंक में ट्रांसफर कर लेते हैं। फिर ये पैसा ATM से निकालते हैं। इस प्रोसेस में आमतौर पर ठगों को कम से कम 30 मिनट का समय लगता है।

अगर ठगी लाखों रुपयों में है तो ठग सारा पैसा एक खाते की बजाय अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करना पड़ता हैं। इसके बाद अलग-अलग ATM से पैसा निकालते हैं। ठगी की रकम ज्यादा होने पर ATM से निकालने में ही कई घंटे या कभी-कभी पूरा दिन लग जाता है।

ऐसे में अगर पीड़ित ठगी के 30 मिनट के भीतर ही शिकायत कर दे तो पैसा रिफंड होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि शिकायत मिलते ही साइबर टीम सबसे पहले साइबर ठगों का बैंक खाता फ्रीज कर देती है। अगर ठग ने तब तक उन पैसों को ATM से नहीं निकाला है तो वह रिफंड हो जाता है। शिकायत देरी से होने पर रिफंड की उम्मीद न के बराबर होती है।

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अगर ठगी होने का पता देर से लगे क्या करें?

अगर ठगी होने के 24 घंटों तक आपने 1930 नंबर पर शिकायत नहीं की है तो आप cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करवा सकते है। इसमें आपको वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा। फॉर्म सबमिट करने के बाद आपकी शिकायत ऑनलाइन दर्ज हो जाएगी।

जब आप 1930 नंबर पर कॉल करते हैं, तो आपसे बैंक अकाउंट और ट्रांजैक्शन से जुड़ी जानकारी मांगी जाती है। सही जानकारी देना बेहद जरूरी है, क्योंकि कई बार लोग गलत जानकारी दे देते हैं, जिससे साइबर पुलिस का समय बर्बाद होता है।

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कोर्ट के जरिए ठगी का पैसे रिफंड करवाती है पुलिस

पुलिस ठग के बैंक अकाउंट को फ्रीज करने के बाद पूरे मामले की जांच करती है। इसके तहत:

  1. रिपोर्ट दर्ज करना: पुलिस धारा 106 BNS में ठगी के पैसे को जब्त करने की रिपोर्ट रोजनामचा में दर्ज करती है।
  2. सूचना देना: धारा 106(3) BNS के तहत जब्ती की रिपोर्ट की सूचना पुलिस को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में देनी होती है।
  3. जांच अधिकारी नियुक्त करना: धारा 106 BNS के तहत रिफंड के लिए बैंक में जब्त राशि की जांच के लिए एक जांच अधिकारी नियुक्त किया जाता है।
  4. शिकायत की अपडेट: जांच अधिकारी साइबर पुलिस के पोर्टल पर जाकर पीड़ित की शिकायत पर हुई कार्रवाई की सूचना अपडेट करता है।
  5. प्रार्थना पत्र पेश करना: इसके बाद पुलिस पीड़ित को ठगी के पैसे रिफंड करवाने के लिए कोर्ट में धारा 503 BNS का प्रार्थना पत्र पेश करती है।
  6. जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करना: जांच अधिकारी पूरे मामले की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करता है।
  7. कोर्ट का आदेश: कोर्ट से पीड़ित को पैसे रिफंड करवाने के लिए बैंक को आदेश जारी किया जाता है।
  8. बैंक को आदेश देना: पुलिस इस आदेश को संबंधित बैंक को देती है, जिसके बाद बैंक पीड़ित को ठगी के पैसे रिफंड करती है।

इस प्रक्रिया के माध्यम से पीड़ितों को ठगी का पैसा वापस दिलाने में मदद मिलती है।

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