बेहद दिलचस्प रहा है नागौर लोकसभा सीट का इतिहास
Spotnow @ Nagaur. Nagaur Politics: नागौर लोकसभा सीट पर इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा गायब रहेगा। 2019 में इस ईवीएम से भाजपा का चुनाव चिन्ह गायब था। ऐसे में हरबार हाथ का बटन दबाने वाले लोगों को किसी दूसरे बटन को दबाकर मतदान करना होगा।
Nagaur Politics: नागौर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कभी कीर्तिमान रच चुका है। जी हां, हम बात कर रहे हैं आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव की। इंदिरा गांधी के खिलाफ लोगों का गुस्सा चरम पर था। इसी कारण इंदिरा गांधी समेत सभी दिग्गज यह चुनाव हार गए। उस दौर में भी एक ऐसे नेता थे नाथूराम मिर्धा। जो तमाम चुनावी समीकरणों को धराशाई करके राजस्थान से कांग्रेस के एकमात्र सांसद के रूप में संसद पहुंचे थे।
जबकि 1977 के उस चुनाव में उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में एक भी सीट पर कांग्रेस जीत नहीं सकी। राजस्थान में केवल नागौर से नाथूराम मिर्धा ने कांग्रेस के सिंबल से चुनाव लड़ा और लोकदल के किशन लाल शाह को 20 हजार 154 वोटों से करारी शिकस्त दी।
आपातकाल जैसी तो नहीं परिस्थितियां-
अब एक बार फिर कांग्रेस कमजोर तो नजर आ रही है लेकिन वैसी आपातकाल के बाद जैसी परिस्थितियां भी नहीं है। इसके बावजूद देश की सबसे पुरानी और आजादी से पहले की कांग्रेस का इस बार नागौर से चुनाव चिन्ह गायब है। इसे समय की ही बलिहारी कही जाए तो बेहतर है कि जिस कांग्रेस पार्टी ने यहां इतिहास रचा वहां इस बार कांग्रेस गायब है।
नागौर का नया इतिहास-
राजनीति के इतिहास में यह चुनाव हमेशा इसलिए भी याद किया जाएगा क्योंकि इस आम चुनाव में चुनाव चिह्न हाथ का पंजा गायब रहेगा। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि आरएलपी और कांग्रेस गठबंधन के कारण नागौर जिले के सीट आरएलपी पार्टी की झोली में चली गई है। कांग्रेस का चुनाव चिह्न और कांग्रेस यहां नजऱ नहीं आएगी।
Nagaur Politics: आरएलपी के समर्थन में कांग्रेस
आम चुनाव में वोट कम मिलें या ज्यादा लेकिन आज तक नागौर जिले की सीट पर कांग्रेस ने हर आम चुनाव लड़ा। जिस पार्टी ने देश में सालों तक राज किया। जिले से भी उसके सांसद या तो जीतते रहे या फिर दूसरे नंबर पर रहते रहे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। यहां पर कांग्रेस ने इस बार आरएलपी को अपना समर्थन दिया है। इसी तरह सीकर में भी कांग्रेस ने माकपा को अपना समर्थन दिया है।
रिपोर्ट- हेमंत जोशी, कुचामनसिटी
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