SPOTNOW @ SAMBHAR LAKE. Sambhar lake part 02: सांभर झील संरक्षण के दावों के बाद हमारी टीम एक बार सांभर झील में पहुंची। जहां झील को संरक्षित करने के लिए प्रशासन की ओर से केवल दिखावा किया जा रहा है। झील में आज भी हर प्रशासन की मिलीभगत से रात के अंधेरे में अवैध बोरवेल मशीनों की सहायता से बोरवेल खोदे जा रहे है।
Sambhar lake part 02: सांभर झील में रात के अंधेरे में बोरवेल मशीनों की गडगडाहट आसानी से सुनी जा सकती है। यह आवाज झील के सीने के सीने को छलनी करने वाली होती है। फिर भी अधिकारियों की ओर से बोरवेल मशीनों पर कार्रवाई नहीं की जाती है।
नियमित हो रहे झील में बोरवेल
विश्व विख्यात सांभर झील के संरक्षण के लिए प्रदेश से लेकर केन्द्र सरकार की ओर से भी लगातार प्रयास किए जा रहे है। लेकिन धरातल पर निर्देशों की पालना में लीपापोती की कार्रवाई कर दी जाती है। गत वर्ष सांभर झील में अवैध बोरवेलो को लेकर प्रभावी कार्रवाई की गई थी। लेकिन इस वर्ष प्रशासन सांभर झील के संरक्षण को लेकर प्रशासन सुस्त नजर आ रहा है।
रोक बेअसर: प्रशासन की उदासीनता
प्रशासन की ओर से न तो बोरवेल मशीनों पर कार्रवाई की जा रही है। न ही झील में हुए अवैध बोरवेल को तोड़ा जा रहा है। प्रशासन की सुस्ती का फायदा नमक उत्पादक उठा रहे है। जिसका परिणाम है की झील में विद्युत केबिलो का जाल नजर आने लगा है। जिससे झील के हालात दिनों दिन बिगड़ते जा रहे है।
Sambhar lake part 02: सांभर झील में हजारों की तादाद में बोरवेल से खारे पानी का दोहन हो रहा है। पाइप लाइन व केबिले बिछी हुई है। जिससे झील का सौंदर्य बिगड़ने के साथ ही दुर्घटनाओं के आसार भी बढ़ रहे है। नावां से खाखडकी जाने वाले मार्ग पर सडक के किनारे बोरवेल खुदे हुए है। झील के रास्ते खाखड़की से शाकंभरी माता के मंदिर जाने के मार्ग और मोहनपुरा पहाड़ी से आऊ सीमा के बीच झील में अवैध बोरवेलो की लगातार खुदाई हो रही है। इसके बाद भी प्रशासन मूक दर्शक बनकर बैठा है।
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सांभर झील में खुले पड़े है बोरवेल
नमक उत्पादकों की और से झील में बोरवेल करवाए जाते है। लेकिन बोरवेल फैल होने पर सैकड़ो फुट गहरे गड्ढे को खुला छोड़ दिया जाता है। ऐसे मौत के कुओ को न तो नमक उत्पादकों की और से वापस भरवाया जाता है। न ही बोरवेल मशीन के संचालक यह काम करते है। जिसके कारण आज झील में हजारों की तादाद में ऐसे खुले मौत के कुएं है। इससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है लेकिन किसी को इसकी परवाह नहीं है। नमक उत्पादक अपने स्वार्थ के लिए जहां चाहे वहां बोरवेल खुदवाते है और पानी नही मिलने पर खुला ही छोड कर चले जाते है।
रिपोर्ट – अरुण जोशी, नावां शहर।
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