Nagaur politics: नागौर। राजनेताओं की पहचान भले ही सफेद कुर्ते पायजामे से होती रही है लेकिन बदलते परिवेश में अब नेता जिंस-शर्ट पहनने लगे हैं।
जी हां, नागौर के नेता हनुमान बेनीवाल हमेशा जिंस शर्ट पहनते हैं। इसे यूं भी कह सकते हैं कि वह अब जिंस शर्ट की ही राजनीति करते हैं।
Nagaur politics: नेताओं की पहचान पहले पहनावे से होती थी। धोती-कुर्ता या पाजामा- कुर्ता पहने नेता मंच से सभाओं को संबोधित करते थे। बदलते दौर में चुनाव के समय नेताओं के पहनावे की पसंद भी बदल गई है। कभी नेताओं की शान माने जाने वाले धोती-कुर्ता की जगह अब आधुनिक परिधान आ गए हैं।
इनमें पुरुष वर्ग पेंट -शर्ट तो महिलाएं ज्यादातर साड़ी की अपेक्षा सलवार-शूट में नजर आने लगी है। स्थिति यह है कि नए दौर के अधिकांश नेता इस राजनीति के ड्रेस कोड धोती- कुर्ता को छोड़ चुके हैं। अब नेता राजनीतिक कार्यक्रमों में जींस की पेंट, टी शर्ट में नजर आते हैं। ऐसे ही नेता हैं हनुमान बेनीवाल।
बेनीवाल कभी किसी धार्मिक कार्यक्रम या अनुष्ठान में जरुर कुर्ता पाजामा पहनते है। लेकिन राजनीतिक मंच पर वह जिंस शर्कीट या टी शर्ट ही पहनते है।
बेनीवाल की चुनावी प्रतिद्वंदी और नागौर की बेटी ज्योति मिर्धा भी सलवार-शूट में ही नजर आती हैं। जबकि पहले राजनीति में महिलाएं सिर्फ साडिय़ों में नजर आती थी।
ज्योतिषी ने बताया कुर्ता पाजामा नहीं
बताया जा रहा है कि पहले हनुमान बेनीवाल भी कुर्ता पाजामा पहनते थे लेकिन लगातार चुनावी संघर्ष के बाद भी कुर्सी नहीं मिलने पर किसी ज्योतिषी ने उन्हें कुर्ता पाजामा नहीं पहनने की सलाह दी और सफेद रंग की जगह अन्य रंगों के कपड़ों को पहनने की बात कही। इसके बाद हनुमान बेनीवाल राजनीतिक मंच पर सफेद कुर्ता पाजामा नहीं पहनते।
पाश्चात्य सभ्यता का चढ़ा रंग
धोती और कुर्ता भारतीय राजनीतिक का ड्रेस कोड भारतीय संस्कृति का परिचायक है। लेकिन अब राजनीति में भी पाश्चात्य सभ्यता का रंग चढ़ चुका है। भारतीय विचारों के साथ पहनावा भी बदल गया है। पहले किसी की वेशभूषा से उसके क्षेत्र की पहचान होती थी। अब ऐसा नहीं है। सांस्कृतिक क्षरण होने से उनकी वेशभूषा भी बदल गई।
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